आंदोलन की आग में भुकभुका रहा साक्षरता का दीया
लखीसराय। जिन साक्षरता कर्मियों के भरोसे राज्य सरकार बिहार से निरक्षरता की कंलक मिटाने का अभियान चली
लखीसराय। जिन साक्षरता कर्मियों के भरोसे राज्य सरकार बिहार से निरक्षरता की कंलक मिटाने का अभियान चली रही है, उस राज्य के करीब 14,000 साक्षरता कर्मी इन दिनों अपने हक के लिए सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में इस आंदोलन की आग में साक्षरता का दीया भुकभुकाने लगा है। मार्च 2018 से साक्षर भारत मिशन कार्यक्रम बंद होने एवं जन शिक्षा निदेशालय बिहार पटना के निदेशक के बयान से पूरे राज्य में साक्षरता कर्मी आक्रोशित हैं। लखीसराय जिले में भी 200 साक्षरता कर्मी बेरोजगार हो गए हैं। दशकों से जिले में साक्षरता के दीप जलाने में दिन रात मेहनत करने वाले इन साक्षरता कर्मियों को अभी तक सरकार की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है कि उनके भविष्य का क्या होगा। पहले से ही करीब 24 महीने से वरीय प्रेरक, प्रेरक, प्रखंड व जिला समन्वयकों को मानदेय नहीं मिला है। ऐसे में आंदोलन के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचा।
हाल यह है कि भारत सरकार की साक्षर भारत मिशन योजना बंद होने के बाद अबतक कोई दूसरा साक्षरता कार्यक्रम शुरू नहीं हुआ है। इधर राज्य सरकार की पूर्व से चल रही मुख्यमंत्री महादलित अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना पर भी कोई काम जिले में नही हो रहा है। क्योंकि जो साक्षरता कर्मी साक्षर भारत कार्यक्रम देख रहे थे उनके जिम्मे ही यह कार्यक्रम भी था। इसके तहत टोला सेवकों को 25 बच्चों एवं 20 असाक्षर महिलाओं को पढ़ाना है। वर्ष 2018-19 में सरकार ने आदेश जारी कर असाक्षर महिलाओं का सर्वे कर साक्षरता केंद्रों पर नामांकन कराने को कहा है। लेकिन दो माह बीत गए इस पर कोई काम नहीं हुआ है। डीपीओ साक्षरता रमेश पासवान कहते हैं कि इसकी जल्द ही समीक्षा कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।