किऊल नदी का लाल बालू बन गया सोना
लखीसराय। जिला अंतर्गत किऊल नदी के लाल बालू पर विगत दो सालों से बालू माफिया की नजर लग गई है।
लखीसराय। जिला अंतर्गत किऊल नदी के लाल बालू पर विगत दो सालों से बालू माफिया की नजर लग गई है। माफिया के लिए बालू सोना साबित हो रहा है। माफिया अपने मजबूत नेटवर्क से जिले में बेखौफ होकर अवैध बालू खनन कर रहे हैं। तमाम प्रयास के बाद भी जिला प्रशासन इस पर रोक नहीं लगा पा रहा है। छापामारी की भी जाती है तो माफिया मैनेज सिस्टम से उस पर भारी पड़ जा रहा है।
जिलाधिकारी अमित कुमार भी स्वीकार करते हैं कि जिले के कुछ खास हिस्से में अवैध खनन करके भारी मात्रा में बालू डंप किया गया है। आम लोग कहते हैं कि अवैध बालू खनन के खेल में स्थानीय स्तर पर वर्दीधारियों की मौन सहमति है, जिसके कारण माफिया का मनोबल बढ़ता जा रहा है। बालू धंधा से जुड़े कुछ लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि किऊल नदी के विभिन्न घाटों से अवैध बालू खनन एवं परिवहन में स्थानीय पुलिस के स्तर से कोई दिक्कत नहीं होती है। जिले के वरीय पदाधिकारी या खनिज विभाग की टीम से बचने के लिए माफिया बालू लोड वाहनों की रेकी करके गंतव्य तक पहुंचाते हैं। इसको रोक पाने में पुलिस और प्रशासन की टीम को विफल होते देख जिलाधिकारी भी रात में माफिया की खोज में निकलने लगे हैं। उनका दावा है कि बालू माफिया नेटवर्क की कुंडली तैयार कर ली है। उधर जिलाधिकारी की रणनीति के बाद माफिया भी अपने रास्ते बदलने की तैयारी में है। जानकारी हो कि शरमा, लाखापुर एवं टेकारी पहाड़ी सरकारी बालू घाट चल रहा है। इन बालू घाटों से सरकारी दर पर लोगों को बालू मिल रहा है लेकिन इन घाटों से जुड़े सरकारी रिटेलरों ने जिलाधिकारी को लिखित शिकायत की है कि व्यापक पैमाने पर अवैध खनन होने से सरकारी राजस्व की क्षति के साथ-साथ वैध घाटों से बालू की बिक्री प्रभावित हो रही है।जिलाधिकारी ने कहा है कि पुलिस प्रशासन के सहयोग से अवैध बालू खनन करने वालों पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी।