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बाढ़ पीड़ित लौटे अपने घर, नए सिरे से बसाएंगे आशियाना

राहत शिविर से नाव पर सवार होकर जामनगर बिद टोली के लगभग 300 परिवार गए गांव संसू. बड़

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 05:43 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 06:15 AM (IST)
बाढ़ पीड़ित लौटे अपने घर, नए सिरे से बसाएंगे आशियाना
बाढ़ पीड़ित लौटे अपने घर, नए सिरे से बसाएंगे आशियाना

राहत शिविर से नाव पर सवार होकर जामनगर बिद टोली के लगभग 300 परिवार गए गांव संसू., बड़हिया (लखीसराय) : बड़हिया नगर क्षेत्र स्थित जगनानी धर्मशाला एवं पुराना किसान भवन में आश्रय ले रहे बाढ़ पीड़ित गुरुवार को अपने-अपने घर वापस चले गए। 22 सितंबर से 10 अक्टूबर तक लगभग 19 दिनों तक चले राहत शिविर में बाढ़ पीड़ितों ने दिन कैसे गुजारे यह वही जान सकते हैं जिसने बाढ़ के कहर को झेला है। लेकिन अनुभव जरूर किया जा सकता है कि अपना घर छोड़कर विस्थापित जीवन जीने की मजबूरी कैसी होती है। अपना घर चारों ओर से पानी से घिर जाने के बाद गृह स्वामियों को अपने परिवार एवं मवेशियों के साथ बाढ़ राहत शिविर में खानाबदोश की जिदगी जीने को विवश होना पड़ा। खैर, इस प्राकृतिक आपदा को सहन करते हुए बाढ़ प्रभावितों की बुधवार से घर वापसी शुरू हो गई। गुरुवार को सभी लोग अपने मवेशियों के साथ अपने घर लौट गए। इस दौरान राहत शिविर से सिकंदरपुर, खुशहाल टोला, बोधि टोला के लोग भी अपने-अपने घर लौट चुके हैं। दियारा क्षेत्र के जामनगर बिद टोली के लगभग 300 बाढ़ पीड़ित बुधवार की शाम से ही कॉलेज घाट से नाव के सहारे अपने बच्चों, मवेशी के साथ अपने गांव लौट गए। लोग अपने उजड़े चमन को फिर से आबाद करने की कोशिश में लग गए हैं। परंतु यह काम इतना आसान नहीं है। ऐसे भी पीड़ित हैं जिनके घर पूर्णत: धराशाई हो चुके हैं। घर में खाद्यान्न, कपड़े आदि सामान बाढ़ की भेंट चढ़ गई। उनके समक्ष नए सिरे से जिदगी की शुरुआत करने की समस्या है। इसके बावजूद लोगों का मनोबल कम नहीं हुआ है। लोग अपने घरों को सीधा करने एवं आंगन में जमी बाढ़ की बलुआही मिट्टी हटाने में जुट गए हैं। सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि के लिए नाम जुड़वाने को ले मारामारी भी हो रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की अधिकांश सड़कें टूट गई हैं। डुमरी मोड़ से टाल जाने वाली सड़क अब चालू हो गई है। टाल के लोगों का प्रखंड मुख्यालय से संपर्क जुट गया है। सीओ रामआगर ठाकुर ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों के घर जाने के पूर्व सरकारी कर्मी उनके गांव जाकर निरीक्षण किए थे। पानी निकल जाने के बाद अब रहने लायक हो गया था। इसलिए सब लोग अपने घर वापस चले गए।

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