शिक्षा की अलख जगा रहे हैं सेवानिवृत्त शिक्षक राजेंद्र सिंह
जागरण विशेष ----------- वंचित व अतिपिछड़ा इलाके में शिक्षा का दीप जलाने का लिया है संकल्प
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वंचित व अतिपिछड़ा इलाके में शिक्षा का दीप जलाने का लिया है संकल्प
सरकारी नौकरी से रिटायर्ड होने के बाद भी शिक्षा व छात्र से प्रेम नहीं छूटा
हलसी प्रखंड के धीरा गांव में बच्चों के लिए रोज चलाते हैं निशुल्क पाठशाला अवधकिशोर, संवाद सूत्र, हलसी (लखीसराय) : प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग महत्वाकांक्षा होती है। हर किसी की अलग-अलग पसंद भी होती है। इससे अलग कुछ लोगों का लगाव शिक्षा के प्रति भी होता है। जुनून इतना कि सरकारी नौकरी के बाद थकते उम्र के साथ जब आराम की जरूरत होती है तब भी हाथ में किताब और मन में शिक्षा बांटने का जज्बा होता है। इसी जज्बे के साथ हलसी प्रखंड के धीरा गांव के सेवानिवृत शिक्षक राजेंद्र सिंह शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। वे अपने गांव में वर्ग अष्टम से इंटर तक के छात्र-छात्राओं के लिए रोज निश्शुल्क पाठशाला का संचालन करते हैं। एक मई 1947 को धीरा गांव के स्व. रामेश्वर सिंह के घर जन्मे राजेंद्र सिंह बचपन से ही स्वयं पढ़ने के साथ-साथ दूसरे को भी पढ़ाने में दिलचस्पी रखते थे। गांव के प्रारंभिक सरकारी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करते हुए प्रखंड के उच्च विद्यालय शिवसोना से 1962 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। मैट्रिक पास करने के बाद 1964 में गांव स्थित मध्य विद्यालय धीरा में निशुल्क शिक्षा देने का कार्य शुरू किया। गांव में घूम-घूम कर बच्चों को स्कूल लाने का काम भी करने लगे। बच्चों को पढ़ने में परेशानी नहीं हो इसके लिए उन्होंने 1969 में गांव में ही पुस्तकालय की स्थापना की। अनवरत शिक्षा की दीप जलाते-जलाते 1974 में सरकारी शिक्षक के रूप में मध्य विद्यालय सांपो में योगदान किया। इसके बाद 1978 में रामोतार सिंह उच्च विद्यालय बड़हिया में योगदान किए। यहां 18 साल के सेवा काल में इनसे पढ़कर सुनील कुमार, जयशंकर कुमार आइपीएस बने जबकि रामप्रवेश कुमार प्रोफेसर हैं। 1995 में मुंगेर स्थित नंदकुमार हाई स्कूल बासुदेवपुर में योगदान किया। यहीं से 2007 में सेवानिवृत्त हुए। आश्चर्य यह कि इसके बाद भी शिक्षा के क्षेत्र से इनका मन नहीं भरा। अष्टम से इंटर तक गणित, विज्ञान, संस्कृत, इतिहास आदि विषयों की निशुल्क पढ़ाई कराते हैं। गरीब छात्रों को कॉपी, कलम, पुस्तक आदि भी उपलब्ध कराते हैं। पूछने के बाबत राजेंद्र सिंह ने कहा कि जबतक सांस चलेगी तबतक बच्चों के बीच शिक्षा बांटने का काम करते रहेंगे।