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प्रत्याशियों से बड़ा सवाल, कब चालू होगा बालू घाट

वर्ष 2016 में ही बेस्ट लिक कंपनी को 48.50 करोड़ रुपये में किऊल नदी से बालू खनन का मिला है

By JagranEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 06:57 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 06:57 PM (IST)
प्रत्याशियों से बड़ा सवाल, कब चालू होगा बालू घाट
प्रत्याशियों से बड़ा सवाल, कब चालू होगा बालू घाट

वर्ष 2016 में ही बेस्ट लिक कंपनी को 48.50 करोड़ रुपये में किऊल नदी से बालू खनन का मिला है टेंडर

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ग्रीन ट्रिब्यूनल राज्य कमेटी से अनापत्ति प्रमाण-पत्र नहीं मिलने के कारण नदी से बालू का नहीं हो रहा खनन संवाद सहयोगी, लखीसराय : राज्य सरकार की उदासीनता के कारण विगत तीन वर्षों से लखीसराय, जमुई सहित पूर्व बिहार के जिले में बालू के लिए हाहाकार मचा हुआ है। किऊल नदी में विगत तीन वर्षों से बालू खनन बंद है। जरूरतमंद लोग और इस व्यवसाय से जुड़े लोग आज बालू माफिया और बालू चोर के आरोप में जेल भेजे जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में यह बड़ा मुद्दा बनते जा रहा है। बालू खनन की समस्या लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों के लिए एक बड़ा सवाल बन गया है। लखीसराय एवं जमुई स्थित किऊल नदी से बालू का खनन कब चालू होगा? लोकसभा क्षेत्र की जनता ने प्रत्याशियों से यह सवाल पूछने का मन बना लिया है। ऐसी स्थिति में प्रत्याशियों को बगल झांकने को मजबूर होना पड़ेगा। बताया जा रहा है कि टेंडर लेने के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) से बेस्टलिक कंपनी को अनापत्ति प्रमाण-पत्र मिल गया है। परंतु राज्य सरकार की कमेटी द्वारा अनापत्ति प्रमाण-पत्र नहीं मिला है। जनवरी 18 से जून 18 तक के लिए नौ बालू घाटों का हुआ रिवर्स आक्सन

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समस्याओं को देखते हुए खनिज विभाग ने किऊल नदी का सर्वे कर जिलाधिकारी के माध्यम से विभाग के प्रधान सचिव को रिपोर्ट भेजते हुए चयनित बालू घाटों को चालू करने का आग्रह किया। इसके बाद खनन विभाग की एजेंसी इंडस माइनिग एंड इनवारमेंट कंसलटेंट की तीन सदस्यीय टीम ने लखीसराय पहुंचकर किऊल नदी का सर्वे कर पांच हेक्टेयर रकवा पर एक बालू घाट का चयन कर विभाग को रिपोर्ट भेजी। इसके बाद जनवरी 18 से जून 18 तक के लिए नौ बालू घाटों का रिवर्स आक्सन हुआ। इसका जिलाधिकारी स्तर से ही पर्यावरण का प्रमाण पत्र दिया गया। निर्धारित तिथि तक नौ बालू घाट से बालू का खनन किया गया। इसके बाद से खनन कार्य बंद पड़ा हुआ है। जिले के लोगों का मानना है कि जब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एवं जिलाधिकारी द्वारा किऊल नदी से बालू का उठाव करने को लेकर पर्यावरण का अनापत्ति प्रमाण-पत्र देने में कोई परेशानी नहीं हुई। परंतु राज्य सरकार की कमेटी को अनापत्ति प्रमाण-पत्र देने में परेशानी क्यों हो रही है? जाहिर है कि राज्य सरकार की कमेटी जानबूझ कर अड़ंगा लगा रहा है।वोट मांगने के दौरान प्रत्याशी को इसका जवाब देना होगा। कोट

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राज्य सरकार की कमेटी द्वारा अनापत्ति प्रमाण-पत्र किस कारण से नहीं दिया जा रहा है। इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। लखीसराय एवं जमुई स्थित किऊल नदी से बालू का खनन करने का टेंडर लेने वाली बेस्टलिक कंपनी का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायालय के फैसला के आलोक में ही कार्य होगा।

- आनंद प्रकाश, खनिज विकास पदाधिकारी, लखीसराय


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