संवैधानिक अधिकार की लड़ाई लड़कर महादलितों को दिला रहे न्याय
तंत्र के गण : गरिमा का अधिकार --------------------- समाज के शोषित व वंचित वर्ग के लोगों
तंत्र के गण : गरिमा का अधिकार
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समाज के शोषित व वंचित वर्ग के लोगों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं प्रफुल्ल मांझी
असहायों का सारथी बनकर भूमिहीन महादलित परिवारों को दिलाया जमीन व खुलवाया स्कूल
मुकेश कुमार, लखीसराय : समाज के शोषित व वंचित वर्ग के लोगों को न्याय दिलाने के लिए लखीसराय शहर के वार्ड 13 संतर मोहल्ला निवासी सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ल मांझी लगातार संघर्षरत हैं। अपने संघर्ष के बलबूते उन्होंने समाज के पिछड़े तबके महादलित और अनुसूचित जाति-जनजाति के परिवार को ना सिर्फ न्याय दिलाया।
बल्कि उन्हें उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक कर उनको स्वच्छ रहने, स्वस्थ रहने तथा शिक्षित बनने के लिए प्रेरित किया। श्री मांझी आज भी गरीब, असहायों का
सारथी बनकर उनके हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं। साथ ही बाल विवाह, नशामुक्ति जैसे सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी प्रफुल्ल मांझी जन जागरूकता अभियान चला रहे हैं। वर्ष 1982 में मैट्रिक पास करने के बाद प्रफुल्ल मांझी ने समाज के वंचित वर्ग के लोगों को उनके मौलिक अधिकार के प्रति जागरूक कर उन्हें सरकार की योजना का लाभ दिलाने का संकल्प लेकर संघर्ष शुरू किया। निरक्षर महिलाओं को साक्षर कर बनाया आत्मनिर्भर :
वर्ष 2008 से 2016 तक टोला सेवक के रूप में कार्य करते हुए प्रफुल्ल मांझी ने मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक महादलित अतिपिछड़ा अक्षर आंचल योजना के तहत शहर के
अतिपिछड़ा वार्ड 13 में करीब 200 निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाकर उन्हें जीवन जीने का अधिकार सिखाया। वंचित वर्ग की महिलाओं को अपने बच्चों को शिक्षित करने के
साथ-साथ स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के बारे में भी जागरूक किया। साक्षर महिलाओं का बैंकों में खाता खुलवाकर स्वयं सहायता समूह के माध्यम से उन्हें स्वरोजगार के लिए बकरी पालन, मुर्गी पालन, सिलाई आदि अन्य रोजगार के लिए ऋण दिलाकर आत्मनिर्भर बनाया। प्रफुल्ल गरीबों के मसीहा के रूप में जाने जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों को उनके अधिकार व सरकार द्वारा गरीबों के लिए चलाई जा रही योजना की जानकारी देकर उनको हक व अधिकार दिलाने की लड़ाई अब भी लड़ रहे हैं।
महादलित टोलों में खुलवाया सरकारी स्कूल :
वंचित समाज के बच्चे भी पढ़े। इसके लिए प्रफुल्ल मांझी ने जिले के सभी महादलित टोलों में सरकारी स्कूल खोलने के लिए आंदोलन किया। अपने संघर्ष से घोषिकुंडी, आजाद नगर मुसहरी, काल भैरव मुसहरी, दीघा मुसहरी, ओफापुर, बोधनगर, नंदनामा मुसहर टोला, लहुआरा, प्रतापपुर, कनैसी महादलित टोला सहित अन्य दलित बस्तियों में 25 प्राथमिक विद्यालय की स्वीकृति दिलाई। जहां आज सैकड़ों की संख्या में वंचित समाज के बच्चे प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
भूमिहीन परिवार को वास के लिए दिलाया जमीन :
जिले में भूमिहीन दलित, महादलित, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को सरकारी प्रावधान से तीन डिसमिल वासगीत जमीन दिलाने के लिए प्रफुल्ल मांझी ने प्रखंड व जिला स्तर पर आंदोलन कर उन्हें उनका हक दिलाने में सफलता प्राप्त की। उसने वर्ष 2010 में आजाद नगर मुसहरी में 107, झिनोरा में 09, दामोदरपुर में 17 महादलित परिवार को प्रशासन के सहयोग से जमीन खरीद कर उन्हें वास कराया। श्री मांझी ने काल भैरव, कुरोता, कनैसी, जयनगर लाली पहाड़ी स्थित दर्जनों भूमिहीन परिवारों को बसने के लिए तीन डिसमिल जमीन का पर्चा दिलाया।