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कैसे पूरा हो आखिरी सफर : एक मां के अंतिम संस्कार का अजीबोगरीब मामला, बेटा दाह संस्कार और बेटी दफनाने पर अड़े

महिला दूसरी शादी से पहले मुस्लिम थी। पहली शादी से उसका एक बेटा था जो मुस्लिम था और दूसरी शादी के बाद एक बेटा और एक बेटी हुए। इनमें से बेटे ने हिंदू और बेटी ने मुस्लिम धर्म अपनाया। मां के अंतिम संस्कार का विवाद थाने तक पहुंच गया।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Tue, 06 Dec 2022 10:08 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2022 10:08 PM (IST)
कैसे पूरा हो आखिरी सफर : एक मां के अंतिम संस्कार का अजीबोगरीब मामला, बेटा दाह संस्कार और बेटी दफनाने पर अड़े
मां के अंतिम संस्कार के लिए बेटा दाह संस्कार और बेटी दफनाने पर अड़े।

चानन (लखीसराय), संवाद सूत्र। लखीसराय के जानकीडीह गांव में मंगलवार को एक महिला के अंतिम संस्कार के दौरान अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई। महिला का बेटा दाह संस्कार करना चाह रहा था, जबकि बेटी दफनाने की जिद पर अड़ गई। आखिर में पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। महिला शादी से पहले मुसलमान थी।

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50 वर्ष पहले राजेन्द्र झा से प्रेम विवाह करने के बाद उसने हिंदू धर्म अपनाते हुए अपना नाम रैखा खातून से रेखा देवी रख लिया। शादी के बाद उसकी दो संतानें हुईं। बेटा बबलू पांडेय ने हिंदू धर्म स्वीकार किया जबकि बेटी नदमा खातून मुस्लिम धर्म मानने लगी। राजेंद्र झा से शादी के पहले भी रेखा का एक बेटा था, जो मुस्लिम है।

मंगलवार को रेखा देवी के निधन के बाद बबलू पांडेय जहां हिंदू रीति रिवाज से दाह संस्कार करना चाह रहा था, वहीं, पहला बेटा मु. महफिल एवं नदमा खातून मुस्लिम धर्म से दफनाना चाह रहे थे। इस कारण दोनों पक्ष में विवाद होने लगा, जिससे तनाव की स्थिति बन गई।

थाने तक पहुंचा मामला

मामला थाने तक पहुंच गया। सूचना पर पहले चानन थानाध्यक्ष रुबीकांत कच्छप और इसके बाद लखीसराय के एएसपी सैयद इमरान मसूद मौके पर पहुंचे। जांच में पता चला कि शादी के बाद से ही महिला जानकीडीह गांव में रेखा देवी के नाम से रह रही थी। मतदाता सूची सहित अन्य कागजात में भी उसका यही नाम है। महिला के पुत्र बबलू पांडेय ने पुलिस को बताया कि उसकी बहन का नाम पहले तेतरी कुमारी था।

उसने मुस्लिम समुदाय में शादी कर ली और अपना नाम बदल लिया। उसकी मां हिंदू धर्म स्वीकार करके वर्षों से यहां रह रही थी। उसने मतदाता सूची दिखाकर प्रमाण भी पेश किया। एएसपी इमरान मसूद ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद शव का अंतिम संस्कार कराने के लिए बबलू पांडेय को अधिकृत कर दिया। उन्होंने शव का दाह संस्कार करने का आदेश देकर मामले को शांत करा दिया। इस दौरान गांव के लोगों की भीड़ लगी रही।


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