चुनाव आते ही बालू उठाव शुरू करने की सुगबुगाहट
लखीसराय । लखीसराय जिले के लोगों के लिए रोजगार का सबसे बड़ा साधन किऊल नदी का बालू है। इस
लखीसराय । लखीसराय जिले के लोगों के लिए रोजगार का सबसे बड़ा साधन किऊल नदी का बालू है। इस नदी से बालू का उठाव होने पर हजारों परिवारों के घरों का चूल्हा जलता है लेकिन लंबे समय सम तकनीकी पेंच के कारण इस नदी से बालू का उठाव बंद है। इस कारण ट्रांसपोर्ट व्यवसाय करने वालों के साथ मजदूरों तक के घर में भुखमरी की स्थिति है। ऐसे में जब चुनाव का समय आया तो विभाग को बालू उठाव की चिता होने लगी। सोमवार को चानन अंचल कार्यालय परिसर में किऊल नदी से बालू उठाव के लिए पर्यावरण स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई कार्यक्रम का आयोजन हुआ। अध्यक्षता जिला खनन पदाधिकारी रियाज उद्दीन ने की जबकि संचालन बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पार्षद पटना के दिनेश कुमार ने किया। खनन पदाधिकारी ने कहा कि किऊल नदी से बालू उठाव से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। इस कोरोना काल में यहां के लोग बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने कहा कि नदी से बालू निकासी के दौरान सड़क टूटने पर उसकी मरम्मत का कार्य निविदा कंपनी को करना होगा। निविदा की दो प्रतिशत राशि स्थानीय विकास कार्य पर लगाई जाएगी। बालू उठाव स्थल पर मजदूरों के लिए पेयजल, स्वास्थ्य, छाया आदि की सुविधा अनिवार्य रूप से उपलब्ध करानी होगी। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पार्षद पटना के दिनेश कुमार ने बताया कि लखीसराय जिले के किऊल नदी के चार बालू घाट संख्या 10 एवं 11 से खनन का कार्य गोपाल कुमार सिंह, मथुरापुर, बेगूसराय एवं मेसर्स बालाजी इंटरप्राइजेज, परेव, पटना द्वारा किया जाना है। इससे पहले पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए लोक सुनवाई कार्यक्रम आयोजित की गई है। मौके पर अपर समाहर्ता इबरार आलम, प्रदूषण नियंत्रण पार्षद बरौनी एसएन ठाकुर, चानन के सीओ चानन सदानंद प्रसाद वर्णवाल के अलावा काफी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित थे।