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1008 मंगल कलशों से भगवान का हुआ जन्माभिषेक

किशनगंज। भगवान महावीर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन जन्म कल्याणक अग्रसेन भूमि स्ि

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 01:09 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 01:09 AM (IST)
1008 मंगल कलशों से भगवान का हुआ जन्माभिषेक
1008 मंगल कलशों से भगवान का हुआ जन्माभिषेक

किशनगंज। भगवान महावीर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन जन्म कल्याणक अग्रसेन भूमि स्थित पंडाल में पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। जिसमें सुमेरू हेतु भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। शहर भ्रमण के बाद शोभा यात्रा पंडाल पहुंची, जहां पांडु शिला पर भगवान श्री को सौधर्म इंद्र द्वारा विराजमान किया गया। तत्पश्चात 1008 मंगल कलशों से भगवान का जन्म अभिषेक किया गया। शोभायात्रा में भगवान के बुआ-फूफा के पात्र को कोलकाता से आए समाजसेवी शांतिलाल गुणमाला पाटोदी ने निभाया।

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पंचकल्याणक महोत्सव परम पूज्य मुनि श्री 108 पुण्य सागर जी महाराज के सत्संग के सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य हंसमुख जी जैन दिल्ली से आए पंडित अजीत जी शास्त्री, नमन जैन के साथ बाल ब्रह्मचारी बीना दीदी बिगुल के कुशल निर्देशन में आयोजित किया जा रहा है।

महोत्सव में मुनि श्री पुण्य सागर जी महाराज ने भक्तों को अपने आशीष वचन में कहा कि यह मात्र नारी को सौभाग्य है, जो बालक को जन्म देतीं हैं। नारी की वजह से सृष्टि का निर्माण हो रहा है। तीर्थंकर बालक के जन्म पर 10 अतिशय होते हैं। 1008 लक्षण उनके शरीर पर होते हैं। तीर्थंकर का जन्म देखने को मिल जाए तो जीवन धन्य हो जाता है। मुनि प्रवर ने कहा कि पंचमकाल में आज उस वातावरण में जन्म हो रहा है, जहां घर के बजाय हॉस्पिटल में बच्चों का जन्म हो रहा है। घर में जन्म होने पर परिवार की बुजुर्ग महिला थाली बजाकर स्वागत व सूचित करतीं थीं। जबकि आज जन्म लेने पर मोबाइल की घंटी बजती है। मंदिर में विराजमान भगवान को देखने के लिए आंखें खुली रखनी होती हैं। वहीं मन मंदिर के भगवान को देखने के लिए आंखें अंतध्र्यान होनी चाहिए।

मुनि श्री ने कहा जन्म दिवस को संयम से मनाने पर ही सार्थक होता है। यदि बर्थ डे को सार्थकता के साथ नहीं मनाया जाय तो व्यर्थ डे में बदल जाता है। उन्होंने बताया कि तीर्थंकर बालक का जन्म उत्सव मनाने स्वर्ग से सौधर्म इन्द्र परिवार के साथ आते हैं और सुमेरु पर्वत पर ले जाकर पांडु शिला पर बालक का अभिषेक करते हैं। तीर्थंकर के जन्म से समूचा मानव समाज और प्रत्येक जीव, पंथ, संत ग्रंथ, संप्रदाय, जाति आदि की ग्रंथि से ऊपर उठकर सबके कल्याण की भावना से भगवान महावीर के जन्म कल्याणक को उत्साह, उमंग के साथ इंद्र-इंद्राणी का रूप धारण कर बालक वर्धमान (गृहस्थ अवस्था का नाम) की शोभायात्रा निकाल कर गौरवान्वित होती है। वर्धमान से कर्मों का नाश कर ही बने तीर्थंकर भगवान महावीर।

भगवान महावीर पंचकल्याणक के तीसरे दिन श्री जी का अभिषेक, तीर्थंकर जिन बालक जन्मोत्सव, जन्म कल्याणक पूजा हवन के साथ मुनि पुण्य सागर जी महाराज की संगीतमय भव्य आरती, शास्त्र सभा के बाद पालना महोत्सव का भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में जैन युवा मंडल के साथी धीरज छाबड़ा, अमित टोंग्या, संभव छाबड़ा, अंकित काला, अजय अजमेरा, अमृत छाबड़ा, संजय काला, विशाल ठोल्या, राजीव काला, पियूष टोंग्या, श्रेयांस पाटनी समेत समाजजन सक्रिय हैं।

शनिवार को विशेष आकर्षण के रूप में युवा जैन भजन सम्राट राजीव विजयवर्गीय का कार्यक्रम आयोजन किया जाना तय है


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