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उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में लाखों की हेरफेर, मास्टरमाइंड निकला पूर्व मैनेजर, तैयार करता था LIC के फर्जी पेपर

उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक की किशनगंज ब्रांच में लाखों की हेराफेरी का मामला सामने आया है। मामले में बैंक के पूर्व मैनेजर को आरोपित किया गया है। बिचौलियों के माध्यम से बैंक मैनेजर ने लाखों का गबन किया है ऐसा आरोप लगाया गया है।

By Amitesh SonuEdited By: Shivam BajpaiPublished: Wed, 30 Nov 2022 07:57 PM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2022 07:57 PM (IST)
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक में लाखों की हेरफेर, मास्टरमाइंड निकला पूर्व मैनेजर, तैयार करता था LIC के फर्जी पेपर
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक किशनगंज शाखा में लाखों का गबन।

संवाद सहयोगी, किशनगंज : उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक किशनगंज शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक के द्वारा बिचौलिए के माध्यम से मिलकर लाखों रुपये गबन का मामला सामने आया है। मामले का खुलासा तब हुआ, जब बैंक का आडिट करने आडिटर पहुंचे थे। मामले को लेकर कसेरापट्टी स्थित यूबीजीबी किशनगंज शाखा के वर्तमान शाखा प्रबंधक तनबीर अहमद अंसारी के लिखित आवेदन पर टाउन थाना में बुधवार को तत्कालीन शाखा प्रबंधक व तथाकथित बैंक के बिचौलिए सह खातधारक के खिलाफ राशि गबन का प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।

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उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र कुमार दास पिता विनोद कुमार दास वर्धमान पश्चिम बंगाल व तथाकथित बैंक के बिचौलिए सह खाताधारक रुईधासा निवासी सोनाबाबू पिता मोहम्मद हाफिज रुइधासा खानकाह के विरुद्ध थाने में राशि गबन का मामला टाउन थाना में दर्ज कराया गया है। दर्ज प्राथमिकी में बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र दास व खताधारी सोनाबाबू को आरोपित बनाया गया है। दर्ज प्राथमिकी में तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेन्द्र कुमार दास पर पांच लाख 96 हजार 732 रुपये गबन किए जाने और बैंक को 11 लाख 41 हजार 576 रुपये का नुकसान करवाने का आरोप लगाया गया है।

  • -5 लाख 96 हजार रुपये गबन और 11 लाख 41 हजार बैंक को नुकसान पहुंचाने का आरोप
  • -ऋण के लिए बैंक सिक्यूरिटी के लिए ग्राहकों से लिया गया एलआईसी का बांड पेपर
  • -धोखाधड़ी कर रूईधाशा निवासी खाताधारक सोनाबाबू के खाते में जमा करा लिया गया एलआईसी का पैसा

दर्ज प्राथमिकी के अनुसार कुछ दिनों पूर्व बैंक में आडिट किया गया था। आडिट करने वाले ने अपनी रिपोर्ट में खाताधारी सोनाबाबू के लेनदेन को संदेहास्पद बताते हुए रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट दिए जाने के बाद बैंक के वरीय अधिकारी के द्वारा मामले की जांच करवाई गई थी। जांच में मामला सत्य पाया गया था। इसके बाद तत्काल कार्रवाई करते हुए तत्कालीन शाखा प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया था। निलंबन से पूर्व किशनगंज के तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र कुमार दास बारसोई बाजार शाखा में पदस्थापित थे।

एलआईसी के बांड पेपर का किया गलत इस्तेमाल

जांच में यह पाया गया था कि बैंक के द्वारा 47 लोगों को ऋण देने के बाद बदले में सिक्युरिटी के रूप में एलआईसी का बांड पेपर लिया गया था। तत्कालीन बैंक मैनेजर ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए खाताधारी सोनाबाबू के अकाउंट में 47 लोगों के मैच्यूरिटी की राशि डलवा ली थी। जांच के दौरान जब यह खुलासा हुआ तो बैंक के वरीय अधिकारियों के होश उड़ गए। वहीं आवेदन में बताया गया है कि यूबीजीबी खाता संख्या 1008091030117396 जिसके खाता धारी सोनाबाबू हैं एक थर्ड पार्टी अकाउंट है। इसी खाता में गबन के नियत से कुल 47 एलआईसी का बांड मेच्यूरिटी का राशि मंगवाया गया एवं खाताधारक द्वारा डेबिट कार्ड एवं नेफ्ट के द्वारा निकासी किया गया है । यह सारे लेन देन तत्कालीन शाखा प्रबंधक बीरेंद्र कुमार दास के आदेश एवं संरक्षण में हुआ है।

बैंक दिलाने का काम करता था सोनाबाबू

जानकारी के अनुसार यूबीजीबी बैंक प्रबंधक से सांठगांठ कर रूईधासा निवासी सोनाबाबू नामक व्यक्ति बैंक में दलाली का काम करता था। लोगों को लोन दिलवाने के नाम पर मोटी रकम की वसूली करता था। सोनूबाबू लंबे समय से ग्रामीण बैंक में दलाली का काम करते आ रहा है। हालांकी कुछ माह पूर्व जब तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र कुमार दास का ट्रांसफर हुआ है तबसे सोनाबाबू बैंक में नजर नहीं आया। वहीं अब पुलिस तथाकथित बैंक दलाल सोनाबाबू और तत्कालीन शाखा प्रबंधक वीरेंद्र कुमार दास की गिरफ्तारी के लिए पुलिस दोनों की तलाश में जुट गई है।

ऋण सिक्यूरिटी के लिए लिया जाता है बांड पेपर

ग्रामीण बैंकों में छोटी-छोटी ऋण के बदले सिक्योरिटी के तौर पर एलआईसी या डाकघर का बांड पेपर लिया जाता है। ताकि ऋण धारी लिए गए ऋण का भुगतान नहीं करते हैं तो जमा बांड बैंक के नाम से सिक्योरिटी के तौर पर निर्दिष्ट है उसके मेच्यूरिटी होने पर बैंक द्वारा उसका भुगतान बैंक के आधिकारिक खाते में या फिर शाखा प्रबंधक या बैंक के उच्च अधिकारी के निर्देशानुसार ऋण धारी के खाता में करवाया जाता है। लेकिन तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने बैंकिंग नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए 47 लोगों का एलआईसी बांड के मैच्यूरिटी राशि को तथाकथित दलाल सोनाबाबू के खाते में जमा करवा दिया और रुपये का गबन कर गए।


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