सीमांचल के मक्के की महक पहुंची बांग्लादेश, व्यापारी हो रहे मालामाल
किशनगंज से हर साल बांग्लादेश समेत दक्षिण व पश्चिम राज्यों को सैकड़ों टन मक्का भेजे जा रहे हैं। वहां इनसे कुरकुरे, कॉर्नफ्लैक्स सहित अन्य प्रोडक्ट तैयार किये जाते हैं।
किशनगंज [मयंक प्रकाश]। 'गोल्डन क्रॉप' के नाम से चर्चित मक्का कोसी व सीमांचल के किसानों के लिए मुख्य नगदी फसल माना जाता है। इसकी मांग व इससे होने वाली आय के मद्देनजर अधिकतर किसान गेहूं व धान की खेती से मुंह मोड़कर इसकी खेती कर रहे हैं। सीमांचल में उत्पादित मक्का मुख्य रूप से बांग्लादेश सहित देश के दक्षिण व पश्चिम राज्यों को भेजे जाते हैं। हर साल रेल व सड़क मार्ग से यहां से करोड़ों रुपये मूल्य का मक्का देश की प्रमुख मंडियों से होकर प्रसंस्करण इकाईयों में पहुंचता है। वहां इससे कुरकुरे, कॉर्नफ्लैक्स सहित अन्य प्रोडक्ट तैयार कर बाजार में उतारे जाते हैं।
प्रसंस्करण इकाई न होने से किसानों को घाटा
विडंबना है कि यहां के उत्पादित मक्का से जहां दूसरे देश व राज्यों के लोग खुशहाल हो रहे हैं, वहीं कोसी व सीमांचल में एक भी मक्का आधारित प्रसंस्करण इकाई नहीं होने से किसानों की तकदीर नहीं संवर पाई है। किसानों की मंडियों तक सीधी पहुंच नहीं हो पाने के कारण उन्हें अपने उत्पाद बिचौलिए व बड़े व्यापारियों के हाथों बेहद कम भाव में बेचने को विवश होना पड़ता है।
लक्ष्य से ढाई गुना अधिक खेती
जिला कृषि पदाधिकारी संतलाल साह ने बताया कि किशनगंज जिला में इस बार लक्ष्य से ढाई गुना अधिक हेक्टेयर रकबे में मक्का की खेती की गई है। इस वर्ष 3500 हेक्टेर में इसकी खेती का लक्ष्य रखा गया था। इसके विरुद्ध 9,047 हेक्टेयर रकबे में इसकी फसल लगाई गई है।
हर साल 7-8 रैक मक्के की होती है लोडिंग
रेलवे माल गोदाम प्रभारी की मानें तो किशनगंज से मालगाड़ी के जरिए देश के दक्षिण-पश्चिम राज्यों में औसतन हर साल 7-8 रैक मक्का भेजा जाता है। मक्का तमिलनाडु, महाराष्ट्र तथा गुजरात, सहित कुछ अन्य राज्यों में भेजा जाता है। पश्चिम बंगाल के दालकोला व सूर्यकमल में भी मक्के की लोडिंग होती है। स्थानीय व्यापारी ट्रक के माध्यम से इसे राज्य की प्रमुख मंडियों के साथ ही किशनगंज से सटे बांग्लादेश तथा पश्चिम बंगाल की कानकी मंडी भी भेजते हैं।
कहते हैं किसान व व्यापारी
पोठिया प्रखंड के बालूबाड़ी के किसान घनश्याम व तेलीभिट्टा के पेतन लाल ङ्क्षसह बड़े पैमाने पर मक्के का उत्पादन करते हैं। इनका कहना है कि सरकार ने किसानों के लिए कृषि रोड मैप के तहत कई घोषणाएं की हैं। इसके तहत अगर कोसी व सीमांचल में मक्का प्रसंस्करण उद्योग लगा दिए जाएं तो किसानों के उत्पाद को बाजार के साथ-साथ उसकी उचित दर भी मिलने लगेगी।