दोनों ओर से नदियों से घिरी दल्लेगांव को विकास की दरकार
किशनगंज। मेंची नदी पर चचरी पुल के सहारे आवागमन को मजबूर ग्रामीणों की यह ²श्य देखकर सह
किशनगंज। मेंची नदी पर चचरी पुल के सहारे आवागमन को मजबूर ग्रामीणों की यह ²श्य देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि ठाकुरगंज प्रखंड के दल्लेगांव पंचायत के अंडाबाड़ी, दल्लेगांव, गणेशटोला, भवानीगंज व बैरियाबाड़ी आदि गांव के लोगों ने वोट का बहिष्कार क्यों किया। मेची नदी व दोउनो नदी से घिरे और नेपाल सीमा से सटे इस गांव के लगभग 4299 मतदाताओं ने इसलिए पूर्ण रूप से वोट का बहिष्कार करने के लिए मजबूर हुए कि आजादी के 72 वर्ष बीत जाने के बाद भी विकास की रोशनी यहां तक नहीं पहुंच पाई। पुल, सड़क, शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य आदि बुनियादी सुविधाओं के घोर अभाव के कारण यहां के लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं। अपनी बदहाली देख कभी-कभी यहां के लोग यह भी सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि वे इसी भारत देश के नागरिक है या नहीं।
विकास से कोसों दूर ये ग्रामीण कहने को भारतीय हैं। अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए ग्रामीणों ने 17 वीं लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर यह प्रण लिया कि कुछ भी हो, कोई भी आए, हम इस बार वोट का बहिष्कार कर आनेवाली सरकार, सांसद, प्रशासन व अन्य जनप्रतिनिधियों को यह एहसास कराएंगे। अब ग्रामीणों का कहना है कि विकास होगा तो मतदान करेंगे, काम नहीं तो वोट नहीं पर अडिग रहेंगे।
बताते चलें कि गुरुवार को हुए किशनगंज लोकसभा चुनाव में काम नहीं तो वोट नहीं के तहत ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्र संख्या-167 के 1218 वोटर, मतदान केंद्र संख्या-168 के 1026 वोटर, मतदान केंद्र संख्या-169 के 1249 वोटर और मतदान केंद्र संख्या-170 के 806 वोटर याीन कुल 4299 वोटरों ने मतदान का बहिष्कार किया था। अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सरकार के साथ-साथ प्रशासनिक अधिकारियों को भी चेताते हुए अपनी बात रखी कि अगर आगे भी इस क्षेत्र की अनदेखी की जाएगी तो हम लोकतांत्रिक परिभाषा में जवाब देंगे। ग्रामीणों का कहना था कि अब तक केवल हमें अपने जनप्रतिनिधियों से मात्र आश्वासन ही मिला। विकास के नाम पर हमलोगों का वोट लेकर नेता भूल जाते हैं। लेकिन अब आर पार की लड़ाई होगी। हमारा वोट लेने के लिए पहले विकास दिखाना होगा तब हमलोग भी मतदान करेंगे। दल्लेगांव पंचायत के कुल ग्यारह वार्डों में से वार्ड नंबर- एक, पांच, छह, सात, आठ, नौ, दस व ग्यारह कुल 08 वार्ड के मतदाताओं ने इस लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार किया है। लोगों का कहना था कि मेची नदी पर पुल न होने के कारण बरसात के दिनों में जीवन नारकीय बन जाता है। नौ महीने चचरी व बरसात के तीन महीने नाव का सहारा लेते हैं। सांसद और विधायक के आश्वासन के बावजूद पुल का निर्माण नहीं कराया गया।
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लड़के लड़कियों की शादी में हो रही परेशानी -
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के 72 वर्ष बीत जाने के बाद भी चचरी पुल के सहारे आवागमन करना पड़ रहा है। गांव में सड़क नहीं है। बरसात के दिनों में प्रखंड व जिला मुख्यालय से संपर्क टूट जाता है। जरुरत की सामग्रियों के लिए नावों के सहारे शहर अथवा हाट बाजार जाकर खरीदारी करनी पड़ती है। हमारे गांव में काफी लोग सुखी संपन्न हैं पर आवाजाही की सुविधा उपलब्ध नहीं रहने से हमारे यहां कोई शादी विवाह करने को तैयार नहीं होते हैं। बीमार व्यक्ति अथवा गर्भवती महिला को स्वास्थ्य सेवा देने के लिए खाट का सहारा लेकर नदी पार कराया जाता है। यही कारण है कि हमलोगों ने वोट बहिष्कार कर सभी जिम्मेदार लोगों को आईना दिखाया है अगर इसके बावजूद भी इन गांवों के उत्थान के लिए कोई कारगर कदम उठाए नहीं जाते हैं तो आर-पार की लड़ाई जाएगी।