तीन दिग्गजों को मिला पूर्णिया व किशनगंज की रहनुमाई का मौका
किशगनंज। ऐसे उदाहरण तमाम क्षेत्रों में मिल जाते हैं कि फलां नेता दूसरी या तीसरी बार एक
किशगनंज। ऐसे उदाहरण तमाम क्षेत्रों में मिल जाते हैं कि फलां नेता दूसरी या तीसरी बार एक ही क्षेत्र से सांसद चुने गए। या फिर फलां नेता को बार-बार इस सीट से प्रतिनिधित्व का मौका आवाम ने दिया। मगर कोसी-सीमांचल में ऐसे भी दिग्गज हुए जो एक नहीं बल्कि दो अलग-अलग संसदीय क्षेत्र से चुने गए। जिसमें तीन दिग्गजों ने बारी-बारी से किशनगंज और पूर्णिया की रहनुमाई की। मो. ताहिर, लखन लाल कपूर, मो. तस्लीमउद्?दीन, पप्पू यादव व दिनेश चंद्र यादव को दो-दो संसदीय क्षेत्र से प्रतिनिधित्व का मौका मिला। खास बात यह कि सीमांचल के गांधी कहे जाने वाले मो. तस्लीमउद्?दीन को पूर्णिया, किशनगंज और अररिया यानी तीन संसदीय क्षेत्र से प्रतिनिधित्व का मौका मिला।
अतीत के पन्नों को पलटें तो मो. ताहिर, लखन लाल कपूर व मो. तस्लीमउद्दीन के नाम यह रिकार्ड दर्ज है। 1957 व 62 में किशनगंज सीट से कांग्रेस की टिकट पर लगातार दो बार जीत कर संसद पहुंचे मो. ताहिर को 67 के आम चुनाव में लखन लाल कपूर के हाथों शिकस्त मिली। इसके बाद उन्होंने 7़1 के चुनाव में पूर्णिया सीट से भाग्य आजमाया। जहां वे सीपीआइ के जेड.ए. अहमद को हराकर सांसद चुने गए। इसी तरह 67 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर किशनगंज फतह कर चुके लखन लाल कपूर 77 में पूर्णिया से बीएलडी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीते। वहीं 89 में जनता दल के टिकट पर पूर्णिया से पहली सांसद बने मो. तस्लीमउद्?दीन को तीन बार किशनगंज का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। 96 व 98 में लगातार दो बार व 2004 में तीसरी बार किशनगंज से सांसद चुने गए। 96 में वे जनता दल से तो 98 व 2004 में राजद से सांसद बने। इसके बाद वे 2014 में अररिया सीट से संसद पहुंचे। बात कोसी क्षेत्र की करें तो मधेपुरा सांसद राजेश रंजन व पप्पू यादव व मंत्री दिनेश चंद्र यादव भी दो-दो क्षेत्र से सांसद चुने गए। पप्पू यादव सबसे पहले 96 व 99 में यानी दो बार पूर्णिया से सांसद बने, इसके बाद 2004 व 2014 में मधेपुरा से। इसी तरह दिनेश चंद्र यादव 96 व 99 में सहरसा और 2009 में खगड़िया से सांसद बने। इस बार पप्पू यादव व दिनेश चंद्र यादव के मधेपुरा से चुनाव लड़ने के आसार हैं।