Move to Jagran APP

गरीबी उन्मूलन में सहायक बन रहीं रोजगारोन्मुखी योजनाएं

किशनगंज : केंद्र और राज्य सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन के लिए कई प्रकार की योजनाएं धरातल

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 09:02 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 09:02 PM (IST)
गरीबी उन्मूलन में सहायक बन 
रहीं रोजगारोन्मुखी योजनाएं
गरीबी उन्मूलन में सहायक बन रहीं रोजगारोन्मुखी योजनाएं

किशनगंज : केंद्र और राज्य सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन के लिए कई प्रकार की योजनाएं धरातल पर उतारी गई है। सभी योजनाएं गरीबी दूर करने की दिशा में अहम भूमिका निभाने वाली है। हाल के वर्षों में जीविका, नाबार्ड, कृषि विज्ञान केंद्र, आरसेटी व अन्य योजनाओं से जुड़कर लोग स्वरोजगार से जुड़ रहे हैं। बात अगर जीविका की करें तो गत तीन से चार वर्षाें के दौरान ही हजारों महिलाएं जीविका से जुड़कर न सिर्फ अपनी आजीविका चला रहीं हैं बल्कि स्वरोजगार के जरिए परिवार का भरण पोषण भी कर रहीं हैं। आंकड़ों पर गौर करतें अब तक जिले में 14 हजार से अधिक बने समूह में लगभग 1 लाख 65 हजार महिलाएं जीविका से जुड़ चुकी हैं। 2019 तक दो लाख महिलाओं को जीविका से जोड़ने का लक्ष्य है। इस तरह से अब तक चाय, रेशम, अनानास की खेती के साथ गौ पालन, मुर्गी पालन, मशरूम उत्पादन के साथ एकल व समूह व्यवसाय के जरिए गरीबी उन्मूलन को नई दिशा दे चुकीं हैं।

loksabha election banner

हालांकि सरकार की ओर से गरीबी उन्मूलन और विकास के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं का लाभ नहीं लेने का मुख्य वजह जिले के अधिकतर लोंगों का अशिक्षित होना भी है। अशिक्षा और अज्ञानता के कारण ग्रामीण योजनाओं का लाभ लेने से पिछड़ जाते हैं। जबकि कई लोग योजनाओं का लाभ बैंक के माध्यम से ऋण लेकर अनानास, नारियल, तेजपत्ता, केला, आम और जामुन के बागान लगाने में सफल रहे हैं। इससे बेहतर आय अर्जन कर अपना जीवन संवारने के साथ अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं। लगभग 18 लाख की आबादी वाले इस जिले में अधिकतर युवा अपना खेतीहर जमीन होने के बावजूद रोजगार के लिए अन्य राज्यों की ओर पलायन करते हैं। प्रतिदिन जिला से हजारों की संख्या में युवा बस और ट्रेन द्वारा पलायन करते देखे भी जाते हैं। ग्रामीण विकास विभाग की ओर से मनरेगा चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत 100 दिन काम मिलने की गारंटी है। यदि बीपीएल कार्डधारियों को इस योजना के तहत काम नही मिलता है तो इसकी लिखित शिकायत वरीय पदाधिकारियों से कर सकते हैं। जीविका के लिए स्वरोजगार योजना चलाई जा रही है। ग्रामीण स्वयं के विकास के साथ अन्य लोगों को भी अपने साथ रोजगार से जोड़ने में अहम भूमिका निभा सके। इसके अलावा अनुदान पर ऋण, मुद्रा योजना, केसीसी ऋण, डेयरी ऋण सहित कई प्रकार की योजनाएं चल रही है।

समग्र गव्य विकास पदाधिकारी अर्जुन प्रसाद ने बताया कि समग्र गव्य विकास योजना अंतर्गत लघु डेयरी और वृहत डेयरी यूनिट के लिए ऋण दिए जाते हैं। इसके अंतर्गत कुल लागत का 10 फीसद राशि डेयरी यूनिट लगाने वाले व्यक्ति को देना पड़ता है। सरकार द्वारा 50 फीसद राशि अनुदान के रूप में मिलता है। शेष बचे 40 फीसद राशि बैंक द्वारा ऋण के रूप में दिए जाते हैं। वर्ष 2018-19 के लिए सामान्य वर्ग के लिए लघु डेयरी योजना के तहत दो दुधारू मवेशी यूनिट का भौतिक लक्ष्य 60 और वित्तीय लक्ष्य 31,80,000 रुपये का है। चार दुधारू मवेशी यूनिट के लिए भौतिक लक्ष्य 10 होने के साथ वित्तीय लक्ष्य 15,50,000 रुपये का है। वृहत डेयरी योजना अंतर्गत सभी वर्ग के लोगों के लिए 10 दुधारू मवेशी यूनिट स्थापना का भौतिक लक्ष्य सात और वित्तीय लक्ष्य 34,30,000 रूपये हैं। अनुसूचित जाति के लोगों के लिए दो दुधारू मवेशी यूनिट के लिए भौतिक लक्ष्य 20 के साथ वित्तीय लक्ष्य 14,13,200 रुपये, चार मवेशी यूनिट के लिए भौतिक लक्ष्य तीन के साथ वित्तीय लक्ष्य 61,99,38 रुपये और 10 मवेशी यूनिट के लिए भौतिक लक्ष्य एक के साथ वित्तीय लक्ष्य 6,53,268 रूपये हैं। अनुसूचित जनजाति के लिए दो दुधारू मवेशी यूनिट के लिए भौतिक लक्ष्य आठ के साथ वित्तीय लक्ष्य 5,65,280 रुपये का है। किसान इन योजनाओं का लाभ लेकर गरीबी उन्मूलन की दिशा में अपना सकारात्क सहयोग समाज को दे सकते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.