जाति-धर्म को दरकिनार कर विकास करना सीएम नीतीश कुमार का मकसद
सूबे के चहुंमुखी विकास के लिए सीएम नीतीश कुमार का हमेशा ही प्रयत्नशील रहे हैं। इस वजह से विकास की रफ्तार भी तेज है। विकास को गति देने में आ रही परेशानियों के कारण सीएम नीतीश ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया।
संवाद सहयोगी, किशनगंज : सूबे के चहुंमुखी विकास के लिए सीएम नीतीश कुमार का हमेशा ही प्रयत्नशील रहे हैं। इस वजह से विकास की रफ्तार भी तेज है। विकास को गति देने में आ रही परेशानियों के कारण सीएम नीतीश ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया। अब महागठबंधन की सरकार बन गई है और नीतीश कुमार आठवीं बार मुख्यमंत्री बने हैं। यह बातें बुधवार को जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष मुजाहिद आलम ने जदयू कार्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि पिछले घटनाक्रम को देखते हुए सूबे के विकास को ध्यान में रखकर सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी से अलग होना ही सही समझा। उन्होंने हमेशा ही जाति-धर्म और भेद-भाव को दरकिनार कर विकास कार्य को प्राथमिकता देते रहे हैं। इनका मानना है कि कानून बनाकर जनसंख्या नियंत्रण नहीं किया जा सकता है। बल्कि युवक-युवतियों को पढ़ाई के साथ जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूक कर ही जनसंख्या पर रोक सुगतमापूर्वक लगाना जा सकेगा। एनआरसी-एनपीआर जैसे कानून सूबे में कभी भी लागू नही होंगे। सूबे के 12.5 करोड़ लोगों को सीएम अपना परिवार मानते हैं। सरकारी नौकरियों में लड़कियों का आरक्षण दिया गया। इसी के परिणाम स्वरूप लड़कियां आज घरों से निकलकर डाक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर पुलिस पदाधिकारी बनकर अपना करियर संवारने में लगे हैं। आने वाले वर्षों में सूबे के कई जिलों औद्योगिक जाल बिछेगा। इसके लिए इंडस्ट्रियल पालिसी 2016 में संशोधन कर विभिन्न कंपनियों को उद्योग लगाने के लिए बुलाया जाएगा। इससे युवाओं को रोजगार तो मिलेगा ही। सूबे का विकास दर भी ऊंचा होगा। इस दौरान मुख्य रुप से जिलाध्यक्ष सह पूर्व मंत्री नौशाद आलम, प्रो. बुलंद अख्तर हाशमी, रियाज अहमद, नूर मोहम्मद, परवेज आलम उर्फ गुडडू, साजिद अकरम, कमाल अंजुम और तनवीर अली सहित कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।