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ठाकुरगंज पीएचसी में आधारभूत संरचना के अभाव में स्वास्थ्य सेवाएं हो रही बाधित

संसू ठाकुरगंज (किशनगंज) ठाकुरगंज प्रखंड में चिकित्सा व्यवस्था की हालत काफी खराब है। प्रखंड मुख्यालय ठाकुरगंज में संचालित पीएचसी ठाकुरगंज में प्राथमिक इलाज के अलावे दूसरे अन्य रोगों की कोई विशेष इलाज नहीं होती है। यदि किसी गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान कष्ट बढ़ती है तो पीएचसी में सीजर की भी व्यवस्था नहीं हैं। ऐसी स्थिति में ऐसे रोगियों को उसी दौरान बाहर निकलना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 08:30 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 08:34 PM (IST)
ठाकुरगंज पीएचसी में आधारभूत संरचना के 
अभाव में स्वास्थ्य सेवाएं हो रही बाधित
ठाकुरगंज पीएचसी में आधारभूत संरचना के अभाव में स्वास्थ्य सेवाएं हो रही बाधित

संसू, ठाकुरगंज (किशनगंज) : ठाकुरगंज प्रखंड में चिकित्सा व्यवस्था की हालत काफी खराब है। प्रखंड मुख्यालय ठाकुरगंज में संचालित पीएचसी ठाकुरगंज में प्राथमिक इलाज के अलावे दूसरे अन्य रोगों की कोई विशेष इलाज नहीं होती है। यदि किसी गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान कष्ट बढ़ती है तो पीएचसी में सीजर की भी व्यवस्था नहीं हैं। ऐसी स्थिति में ऐसे रोगियों को उसी दौरान बाहर निकलना पड़ता है। प्रखंड के लोगों को सरकारी अस्पताल से बेहतर इलाज की सुविधा नहीं होने के कारण पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल राज्य के सिल्लीगुड़ी, इस्लामपुर, खोड़ीबाड़ी आदि शहरों में संचालित निजी अस्पतालों में अपनी गाढ़ी कमाई को खर्च कर इलाज करने के लिए विवश हैं।

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एक महिला चिकित्सक हैं पदस्थापित::

ठाकुरगंज प्रखंड में एकमात्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर करीब तीन लाख की आबादी निर्भर है। पीएचसी ठाकुरगंज में औसतन 300 लोग ओपीडी में इलाज वास्ते यहां आते हैं। प्रसव कराने के लिए औसतन प्रत्येक दिन करीब 25 महिलाएं आती हैं। एक ही महिला चिकित्सक के भरोसे प्रसव व महिला संबंधी रोगों का इलाज यहां होता है।

जानकारी के मुताबिक यहां तीन एमबीबीएस व एक दंत चिकित्सक सहित कुल चार डाक्टर ही कार्यरत हैं जो कि इतनी बड़ी आबादी के लिए नाकाफी है। पीएचसी में 52 नर्स कार्यरत है जबकि विभाग के द्वारा 112 नर्स की पद स्वीकृत हैं। अन्य कर्मचारी में ड्रेसर व कमपाउंडर के पद भी रिक्त हैं।

सभी दवाएं नहीं मिलती::

पीएचसी में आने वाले मरीज को अस्पताल से प्राप्त दवा तो मिलती है, लेकिन कोई गंभीर बीमारी जैसे हृदय, रक्तचाप आदि के रोगी आते हैं तो चिकित्सक दूसरे दवाई लेने की सलाह देते हैं जो सरकार द्वारा जारी लिस्ट में नहीं होती है। ऐसे दवाइयों को मरीजों को बाहर से दवाएं लेनी पड़ती हैं। पीएचसी में सरकार के द्वारा जारी दवा की लिस्ट उपलब्ध है। हर माह मंगलवार को यहां महिला बंध्याकरण की जाती हैं, पर बिस्तर की कमी के कारण इन्हें फर्श में रहना पड़ता है। ठंड के मौसम में ऐसे रोगियों को काफी कष्ट होता है।

साफ-सफाई की व्यवस्था भी दयनीय::

अस्पताल में आउट सोर्सिंग व्यवस्था के माध्यम से सफाई होती है। अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई सरकारी सफाईकर्मी कार्यरत नहीं है, जिससे पीएचसी परिसर में साफ-सफाई की व्यवस्था चरमराई रहती है। इसके अलावे आउट सोर्सिंग के माध्यम से एडमिट मरीजों को भोजन की व्यवस्था व बिजली नहीं रहने की स्थिति में जेनरेटर के माध्यम से लाईट की सुविधा मुहैया कराने की व्यवस्था की गई हैं पर इसमें भी मरीजों को क्वालिटी की भोजन की व्यवस्था नहीं के बराबर की जाती हैं।

दुर्घटनाग्रस्त मरीज को कर दिया जाता रेफर::

हालात उस वक्त बेकाबू हो जाती हैं जब कोई सड़क दुर्घटना होती हैं और बुरी तरह से घायल लोगों का प्राथमिक उपचार के बाद कोई भी इलाज नहीं हो पाता है। आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण इन्हें बेहतर इलाज के लिए किसी अन्यत्र रेफर कर दिया जाता हैं। इन रोगियों के इलाज के लिए कई बार लोग उग्र हो कर स्वास्थ्य प्रशासन के विरुद्ध आवाजें भी उठाई हैं पर स्वास्थ्य सेवाओं में कोई सुधार नहीं हो पाया है।

नहीं हो पाया अस्पताल निर्माण::

वित्तीय वर्ष 2016-17 में पीएचसी ठाकुरगंज को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उत्क्रमित कर 30 शय्या वाले अस्पताल निर्माण कार्य के लिए टेंडर निकाली गई थी। इसे 12 माह में पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था पर प्रशासनिक उदासीनता के कारण गत वित्तीय वर्ष से इस अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू हुआ जो अब तक पूरा नहीं हो सका है। आधारभूत संरचना के अभाव के कारण बड़ी संख्या में लोगों को सरकार द्वारा प्रदत्त चिकित्सीय सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।

टेक्नीशियन की कमी के कारण नहीं हो रहा एक्सरे::

एक्स-रे की सुविधा पिछले छह माह से रोगियों को नहीं मिल रही है जबकि लाखों की राशि खर्च कर 300 एम/ए का एक्स-रे मशीन इंस्टाल कर पीएचसी में पड़ी हुई है। टेक्नीशियन की कमी के कारण लोग एक्स रे की सुविधा से वंचित हैं। स्वीकृत पद के विरुद्ध चिकित्सकों की नियुक्ति एवं ओटी टेक्नीशियन, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, ड्रेसर, कंपाउंडर आदि की नियुक्ति न होने से लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में भी असुविधा होती है।


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