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    गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के एलाइनमेंट में हुआ बदलाव, अब यहां से गुजरेगी फोरलेन सड़क

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 06:47 PM (IST)

    किशनगंज जिले में गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के एलाइनमेंट में बदलाव किया गया है, अब यह ठाकुरगंज के पूर्वी क्षेत्र से गुजरेगा। यह संशोधन स्थानीय लोग ...और पढ़ें

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    गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के एलाइनमेंट में हुआ बदलाव (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    संवाद सूत्र, ठाकुरगंज (किशनगंज)। किशनगंज जिले को बड़ी सौगात मिलने वाली है। देश की महत्वाकांक्षी परियोजना गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के एलाइनमेंट में महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए इसे अब ठाकुरगंज क्षेत्र के पूर्वी दिशा से ले जाने का निर्णय लिया गया है।

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    यह संशोधन स्थानीय लोगों की लंबे समय से उठाई जा रही मांगों को देखते हुए किया गया है। जिससे अब ठाकुरगंज सहित सीमावर्ती इलाकों में अभूतपूर्व विकास की संभावनाएं खुलने जा रही हैं। यह महत्वपूर्ण बदलाव क्षेत्र के आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक परिदृश्य को नए स्वरूप में ढालने की क्षमता रखता है।

    बताते चलें कि पूर्वी भारत के व्यापक विकास, उच्च गति यातायात, सुरक्षित लाजिस्टिक्स और नेपाल व उत्तर-पूर्वी राज्यों तक कुशल कनेक्टिविटी प्रदान करने वाला लगभग 520 किमी लंबा यह हाई-स्पीड कॉरिडोर पूर्वी भारत के विकास का नया द्वार बनने जा रहा है।

    120 किमी प्रति घंटे की तय अधिकतम गति, आधुनिक तकनीकी मानकों और अंतरराष्ट्रीय स्तर की सड़क संरचना के साथ इसे भविष्य के यातायात का आधार माना जा रहा है। इस एक्सप्रेस-वे को फिलहाल 4 लेन में विकसित किया जा रहा है। जिसे आगे जरूरत के अनुसार 6 लेन तक विस्तारित किया जाएगा।

    करीब 32 हजार करोड़ की लागत से ईपीसी मॉडल (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन) पर तैयार हो रही यह परियोजना वर्ष 2028 तक पूरी होने का लक्ष्य रखती है।

    यह एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के कुल 520 किमी क्षेत्र से होकर गुजरेगा, जिसमें उत्तर प्रदेश में 84.3 किमी, बिहार में 416.2 किमी और पश्चिम बंगाल में 18.97 किमी का हिस्सा शामिल है। बिहार में इसका मार्ग पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज होते हुए आगे बढ़ेगा।

    किशनगंज में एलाइनमेंट परिवर्तन के बाद अब यह ठाकुरगंज के पूर्वी इलाके से गुजरकर आगे पश्चिम बंगाल में प्रवेश करेगा।

    2022 से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है, जो अब अंतिम चरण में है। साथ ही डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) का काम भी लगभग पूरा कर लिया गया है। जनवरी 2023 से निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस परियोजना से बिहार के 8 जिलों के 313 गांव और यूपी के 111 गांव प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हैं।

    ठाकुरगंज विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल ने बताया कि एक्सप्रेस-वे शुरू होने के बाद गोरखपुर से सिलीगुड़ी की यात्रा, जो वर्तमान में 14-15 घंटे लेती है, अब सिर्फ 6-8 घंटे में पूरी हो सकेगी। इससे नेपाल और उत्तर-पूर्व राज्यों के साथ व्यापारिक आवाजाही को नया आयाम मिलेगा। औद्योगिक गलियारों का निर्माण, कृषि परिवहन में तेजी, पर्यटन को नया जीवन और लाखों रोजगार के अवसरों की बुनियाद इस परियोजना से मजबूत होगी। कुल मिलाकर, गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे न केवल पूर्वी भारत की कनेक्टिविटी को बदलने वाला है, बल्कि यह क्षेत्र की आर्थिक और औद्योगिक प्रगति का नया स्तंभ बनने जा रहा है।