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प्रतिबंध के बावजूद ग्रामीण इलाकों में फल फूल रहा लॉटरी का कारोबार

- सुबह होते हाट बाजारों में शुरू हो जाती है लॉटरी टिकट की बिक्री संवाद सूत्र, पहाड़

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 11:30 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 11:30 PM (IST)
प्रतिबंध के बावजूद ग्रामीण इलाकों में फल फूल रहा लॉटरी का कारोबार
प्रतिबंध के बावजूद ग्रामीण इलाकों में फल फूल रहा लॉटरी का कारोबार

- सुबह होते हाट बाजारों में शुरू हो जाती है लॉटरी टिकट की बिक्री

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संवाद सूत्र, पहाड़कट्टा(किशनगंज) : बिहार में लॉटरी टिकट की बिक्री पर भले ही राज्य सरकार द्वारा प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन पोठिया व पहाड़कट्टा थाना क्षेत्र में प्रतिबंधित लॉटरी का कारोबार रूकने का नाम नहीं ले रहा है। लॉटरी का यह खेल बिल्कुल नशे की तरह गरीब लोगों को अपनी जद में ले चुका है। यही वजह है कि गरीब व मजदूर तबके के लोग दिन ब दिन बर्बाद होते जा रहे हैं। जबकि इससे जुड़े कारोबारी मालामाल हो रहे हैं। प्रतिबंधित लाटरी टिकट बिक्री के खेल को रोकने की दिशा में पुलिस प्रशासन के द्वारा कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं किया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार छत्तरगाछ, पोठिया, तैयबपुर, दामलबाड़ी आदि हाट बाजारों में सुबह होते ही लॉटरी टिकट बेचने वाले अपने काम में जुट जाते हैं। प्रखंड क्षेत्र के तैयबपुर, चिचुआबाड़ी चौक, रायपुर खरखड़ी, दामलबाड़ी, रतूआ व पोठिया बाजार में लॉटरी का अवैध धंधा चल रहा है। प्रत्येक दिन हजारों रुपये की टिकट बिक्री हो रही है। जिसका शिकार अधिकतर गरीब व मजदूर तबके के लोग होते हैं। हालांकि पुलिस प्रशासन इससे बिल्कुल बेखबर है। प्रखंड क्षेत्र के हाट-बाजारों व चौक-चौराहों पर सुबह से ही बंगाल के सोनापुर, इस्लामपुर व पांजीपाड़ा से लॉटरी टिकट बिक्री करने वाले हॉकर पहुंच जाते हैं। चिन्हित ग्राहकों को फटाफट टिकट बिक्री कर चले जाते हैं। लोगों ने यह भी बताया कि जल्द अमीर बनने की चाह में खासकर गरीब व मजदूर तबके के लोग लॉटरी की टिकट खरीद कर बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। दिन भर की गाढ़ी कमाई से लॉटरी का टिकट खरीद लेते हैं। जिसका परिणाम यह होता है कि कभी-कभी इनके घर में चूल्हा तक नहीं जलता और इनके बच्चों को भूखे पेट सोना पड़ता है। समाजसेवी और बुद्धिजीवियों ने ¨चता जताते हुए बताया कि यदि पुलिस प्रशासन के द्वारा जल्द इस लॉटरी की अवैध धंधे पर अंकुश नहीं लगाया गया तो न जाने और कितने परिवार बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएंगे।


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