गेहूं अधिप्राप्ति में पिछड़ा जिला सहकारिता विभाग
संवाद सहयोगी किशनगंज कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर देशभर में जारी लॉकडाउन के
संवाद सहयोगी, किशनगंज : कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर देशभर में जारी लॉकडाउन के बीच पैक्स और व्यापार मंडलों में गेहूं की खरीदारी नहीं हो सकी। मई का तीसरा सप्ताह बीतने को है मगर अब तक गेहूं की खरीदारी शुरू नहीं हो सकी है। इस वजह से किसान परेशान हैं। कोरोना संक्रमण के भय के बीच मौसम के मार से किसानों के जीवन पर प्रतिकूल असर पड़ता दिखाई दे रहा है। जिला सहकारिता विभाग को 2020 में गेहूं की खरीदारी के लिए तीन हजार मिट्रिक टन का लक्ष्य मिला था। लेकिन जिला में कोरोना के डर के कारण किसान गेहूं की बिक्री के लिए पैक्स और व्यापार मंडल पर नहीं पहुंचे। किसानों को लगने लगा कि सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए पैक्स और व्यापार मंडल पर जाकर घंटों खड़ा रहना पड़ेगा। इस समय सरकार द्वारा गेहूं की खरीदारी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रुपये प्रति क्विटल निर्धारित किया गया है। इसके बावजूद किसान पैक्स और व्यापार मंडल पर जाने का जोखिम नहीं उठाने से कतरा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि पैक्सों पर गेहूं की खरीदारी नही हुई है।
जिले के विभिन्न प्रखंड में गेहूं की खेती धान और मक्का की तुलना में कम होती है। इसका करण यह है कि किसानों को पिछले कई वर्षों गेहूं का उचित मूल्य नही मिल पाता है। इस वजह से किसानों का रूझान गेहूं फसल की खेती के प्रति घटने लगा है। अब यहां के किसान गेहूं की खेती केवल अपनी जीविका के लिए करते हैं। इसी का परिणाम है कि इस वर्ष जिला में केवल गेहूं की खेती 11,370 हेक्टेयर में की गई और उत्पादन 22,489 एमटी हुआ। किसान देव नारायण, रामाशंकर, मु. आबिद, इकबाल हुसैन और गोपाल कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा निर्धारित किए गए गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक कीमत पर घर पर खुले बाजार में खरीदी जा रही है। इस समय खुले बाजार में प्रति क्विटल गेहूं की खरीदारी दो हजार रुपये प्रति क्विटल की दर से हो रही है। साथ ही बिक्री किए गए गेहूं की कीमत तुरंत नकद मिल जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि किसान द्वारा जितने गेहूं का उत्पादन किया जाता है। इनमें से तीन चौथाई गेहूं किसान अपने परिवार के भोजन के लिए रख लेते हैं। शेष एक चौथाई गेहूं की बिक्री कर इससे प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग अन्य फसल की खेती के लिए जरुरी सामग्रियों की खरीदारी के लिए कर देते हैं। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की तुलना में खुले बाजार में गेहूं की कीमत प्रति क्विटन 75 रुपये अधिक में बिक्री हो रही है। साथ ही कोरोना संक्रमण के डर ने किसानों को मानसिक रुप से परेशान कर रखा है। इन सब परिस्थितियों को देखते हुए अधिकतर किसान खुले बाजार में ही गेहूं की बिक्री करना फायदेमंद समझते हैं।
कोट - पैक्स और व्यापार मंडल पर गेहूं की खरीदारी के लिए सभी जरूरी उपाय करने की तैयारी पूरी कर ली गई थी। लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के भय से किसान शारीरिक और मानसिक रुप से अधिक परेशान हो गए हैं। एक समय तो ऐसा आया कि किसानों को गेहूं की कटाई के लिए श्रमिक नहीं मिलते थे। इस विकट हालात में किसान स्वयं अपने परिवार के सदस्यों के सहयोग से खेतों में लगे गेहूं के फसल की कटाई किसी तरह किए। खुले बाजार मे प्रति क्विटल गेहूं की अच्छी कीमत मिलने के कारण बाजार के प्रति किसानों का रूझान बढ़ता प्रतीत हो रहा है।
आनंद कुमार चौधरी, डीएसओ।