सही दाम नहीं मिलने से मक्का किसान हताश
- 700-800 रुपये प्रति ¨क्वटल की दर से बाजार में बिक रहा मक्का - पहले ओलावृष्टि में फसल बर्बाद हुआ
- 700-800 रुपये प्रति ¨क्वटल की दर से बाजार में बिक रहा मक्का
- पहले ओलावृष्टि में फसल बर्बाद हुआ अब बाजार रूला रहा
संवाद सूत्र, बहादुरगंज(किशनगंज) : किसानों के लिए नकदी फसल माना जाने वाला मक्का इस बार किसानों को रूला रहा है। बाढ़ आपदा से उबरने के लिए बड़े पैमाने पर खेती कर किसान मक्का से बड़ी उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन बाजार में सही दाम नहीं मिलने से किसानों को बड़ा धक्का लगा है। पहले तो ओलावृष्टि व आंधी-पानी में फसल को काफी नुकसान पहुंचा। अब बाजार में लागत के अनुपात में समुचित मूल्य नहीं मिलने से किसान हताश व निराश हैं।
महानंदा, मेची, कनकई समेत छोटी-बड़ी दर्जन भर नदियों से घिरा किशनगंज के किसानों के लिए मक्का व जूट की खेती ही जीविका का मुख्य आधार है। लेकिन पिछले साल की अपेक्षा इस साल मक्का का वाजिब दाम नहीं मिल पा रहा है। शुरुआती दिनों में जहां एक हजार रूपये प्रति ¨क्वटल था। वहीं अब 700-800 रूपये प्रति ¨क्वटल बिक रहा है। ऐसे में किसानों के अरमान टूटने लगे हैं। किसान खुदरा व्यापारियों के पास कम दामों में मक्का बेचने पर विवश हैं।
प्रखंड क्षेत्र के रमेश प्रसाद ¨सह, शैलेन्द्र कुमार ¨सह, हरिहर प्रसाद ¨सह, महबूब आलम समेत अन्य किसानों का कहना है कि पिछले साल बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा ने क्षेत्र में तबाही मचा दी। किसान बाढ़ की त्रासदी को भूल इस बार कड़ी मेहनत से मक्का की खेती यह सोचकर किया कि पिछले साल की क्षति की भरपाई इस बार पूरी हो जाएगी। लेकिन इस बार तो पहले कुदरत ने कहर ने मारा फिर बाजार रूला दिया। पहले जहां फसल ओलावृष्टि में फसल बर्बाद हुआ वहीं जो बचे फसल को जब बेचने की बारी आई तो बाजार में कीमत सुनकर लागत भी निकलना मुश्किल दिख रहा है। मात्र सात से आठ सौ रुपये प्रति ¨क्वटल की दर से मक्का बाजार में बिक रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार को मक्का किसानों के लिए कोई ठोस पहल करनी चाहिए ताकि हमें हमारा लागत भी मिल सके।