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उपेक्षा का शिकार है ब्रिटिशकालीन बज्म-ए-अदब उर्दू लाइब्रेरी

फोटो 23 केएसएन 41 -------------------------- कोट - जिला प्रशासन ने पुस्तकालय के जीर्णोद्धार के ल

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jun 2018 11:15 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jun 2018 11:15 PM (IST)
उपेक्षा का शिकार है ब्रिटिशकालीन बज्म-ए-अदब उर्दू लाइब्रेरी
उपेक्षा का शिकार है ब्रिटिशकालीन बज्म-ए-अदब उर्दू लाइब्रेरी

फोटो 23 केएसएन 41

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कोट - जिला प्रशासन ने पुस्तकालय के जीर्णोद्धार के लिए 70 लाख रुपये की योजना पारित कर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय को स्वीकृत के लिए भेजा था। जिसे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय से स्वीकृति मिल चुकी है। जल्द ही भवन निर्माण के लिए टेंडर निकाल जाएगा। - राघवेंद्र कुमार दीपक, अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी, किशनगंज।

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कोट - लाइब्रेरी का हाल जर्जर है। बारिश के मौसम में छत से पानी टपकता रहता है। पढ़ने के लिए डेस्क, कुर्सी तो दूर किताबों की भी कमी है। किताब की कमी के कारण लोग पढ़ने नहीं आते हैं। - जुनैद आलम, उपाध्यक्ष, बज्म-ए-अदब उर्दू लाइब्रेरी कमेटी।

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मोबीद हुसैन, संवाद सहयोगी, किशनगंज : इसे कुसंयोग कहे या दुर्भाग्य, साक्षरता दर में देश के सबसे पिछड़े इलाके में शुमार किशनगंज जिले के एकमात्र लाइब्रेरी का कोई पुरसाहाल नहीं है। 1934 ई में यानी ब्रिटिश शासनकाल में चूड़ीपट्टी स्थित बज्म-ए-अदब उर्दू लाइब्रेरी की स्थापना की गई थी। 18 लाख आबादी वाले इस जिले को विरासत में मिला ब्रिटिशकाल का यह लाइब्रेरी का रजिस्ट्रेशन 2015-16 में 82 साल के बाद किया गया। पुराने लोग बतातें है कि इस लाइब्रेरी में उस जमाने में भी ढ़ेर सारी उपयोगी पुस्तकें हुआ करती थी। लेकिन बाद के दिनों में उपेक्षा का शिकार बना यह लाइब्रेरी जर्जर हो चुका है।

हालांकि अब बज्म-ए-अदब उर्दू लाइब्रेरी के दिन फिरने वाले हैं। जिला प्रशासन ने गत वर्ष पुस्तकालय के जीर्णोद्धार के लिए 70 लाख रुपये की योजना पारित कर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय को स्वीकृत के लिए भेजा था, जिसे मंत्रालय से स्वीकृति मिल चुकी है। स्वीकृत योजना में नया भवन निर्माण से लेकर फर्नीचर, सेल्फ व पुस्तक की खरीदारी करने की बात कही गई है। पांच वर्ष पूर्व सासंद मौलाना असरारूल हक कासमी के द्वारा किताबें खरीदकर दी गई थी। पुस्तकालय में पढ़ने के लिए पहले की भांति अब लोग कम आते हैं। शाम के समय कुछ लोग किताबें पढ़ने आते जरूर हैं।

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70 लाख से होगा जीर्णाेद्धार

चूड़ीपट्टी स्थित बज्म-ए-अदब उर्दू लाइब्रेरी का खस्ताहाल में है। भवन में बाहर की ओर दो छोटा-छोटा कमरा है। जिसमें एक बड़ा हॉल और एक छोटा। भवन में फर्नीचर की कमी है, पढ़ने के लिए डेस्क और बैठने के लिए कुर्सी नहीं है ।बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता रहता है। इस लिहाज से लाइब्रेरी के जीर्णोद्धार के लिए 70 लाख की योजना तैयार की गई। जिला प्रशासन के द्वारा बकायदा 70 लाख की योजना पारित कर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय को स्वीकृत के लिए भेजा गया था। जिसे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय स्वीकृति भी मिल चुकी है। संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही जीर्णोद्धार का काम जल्द शुरू किया जाएगा।


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