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दो वर्षो तक मां का दूध बच्चों के लिए जरूरी

किशनगंज। जिले में मंगलवार को अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आंगनबाड़ी सेविकाओं ने

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 11:17 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 11:17 PM (IST)
दो वर्षो तक मां का दूध बच्चों के लिए जरूरी
दो वर्षो तक मां का दूध बच्चों के लिए जरूरी

किशनगंज। जिले में मंगलवार को अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आंगनबाड़ी सेविकाओं ने अपने-अपने पोषक क्षेत्र के छह माह के बच्चों को अन्नप्राशन कराया। इस दौरान माताओं को बच्चे के लिए अन्नप्राशन के महत्व की विस्तार से जानकारी दी।

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एनएनएम के जिला समन्वयक मंजूर आलम, जिला कार्यक्रम सहायक पूजा रामदास संबंधित क्षेत्र की महिला पर्यवेक्षिका द्वारा कार्यक्रम का मॉनिटरिग किया गया। जिला समन्वयक ने बताया कि बच्चों को अन्नप्राशन के साथ कम से कम दो वर्षों तक स्तनपान भी कराने की जानकारी दी गई। जिसमें छह माह तक सिर्फ स्तनपान ही कराना बच्चों के स्वस्थ शरीर के निर्माण के लिए जरूरी है। छह माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गई। छह माह से नौ माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9- 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गई। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की जानकारी दी ई। चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरक किया गया।

राष्ट्रीय पोषण अभियान की जिला कार्यक्रम सहायक पूजा रामदास ने कोचाधामन प्रखंड के विभिन्न केंद्रों की मॉनिटरिग की। उन्होंने बताया कि शिशु के जन्म के एक घंटे के अंदर मां का गाढ़ा-पीला दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। अगले छह माह तक केवल मां का दूध बच्चे को कई गंभीर रोगों से सुरक्षित रखता है। छह माह के बाद बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास काफी तेजी से होता है। इस दौरान स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की काफी जरूरत होती है। घर का बना मसला व गाढ़ा भोजन ऊपरी आहार की शुरुआत के लिए जरूरी होता है। अन्नप्राशन के दिन बच्चों को गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पाद खिलाया जाता है। इस दौरान स्वच्छता व साफ-सफाई पर भी बल दिया गया।


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