अब बेरोजगारों को मिलेगा ब्याज मुक्त ऋण
किशनगंज। अनूसूचित जाति-जनजाति के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उद्योग विभाग द्वारा एक
किशनगंज। अनूसूचित जाति-जनजाति के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उद्योग विभाग द्वारा एक अनूठी पहल की गई है। अब युवाओं को ऋण के लिए बैंकों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। उन्?हें उद्योग विभाग से कर्ज की राशि का भुगतान सीधे कर दिया जाएगा। अधिकतम 10 लाख तक का ऋण मिल सकेगा। इससे पूर्व अभ्यर्थियों को संबंधित उद्योग के लिए बकायदा प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री एससी-एसटी उद्यमी योजना के अंतर्गत युवाओं को ऋण दिया जाएगा। इसके लिए ऑन लाइन आवेदन लिया जा रहा है। ताकि अधिक से अधिक एससी-एसटी श्रेणी के युवाओं को रोजगार से जोड़ा जा सके। इस योजना का उद्देश्य यह है कि एक तो युवाओं के पलायन पर रोक लगे दूसरा अपने गृह क्षेत्र में ही रहकर युवा वर्ग स्वरोजगार अपना कर आर्थिक प्रगति करने के साथ अन्य युवाओं के लिए भी रोजगार उत्पन्न कर सके। इस योजना में ऋण लेने वाले युवाओं को बिहार औद्योगिक निवेश नीति 2016 के तहत मिलने वाले लाभ भी मिलेंगे। अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम अहर्ता कम से कम से कम बारहवीं या आइटीआई उत्तीर्ण होना जरूरी है। इस योजना के अंतर्गत अभ्यर्थियों को सेवा कार्य और निर्माण कार्य के लिए एक लाख से लेकर दस लाख रुपये तक के ऋण ले सकते हैं। अभ्यर्थियों को मिलने वाले कुल ऋण राशि पर 50 फीसद अनुदान मिलेंगे। शेष बचे 50 फीसद राशि का भुगतान 84 महीनों में करना होगा। जिस पर कोई ब्याज नहीं लगेगा। अभ्यर्थियों को को बिहार इंडस्ट्री.जीओवी .इन पर ऑनलाइन आवेदन करने के बाद पटना में होने वाले काउंसि¨लग में शामिल होना होगा। जिसमें रोजगार से संबंधित प्रोजेक्ट के आधार पर जो भी ऋण राशि स्वीकृत की जाएगी। वह राशि बैंक का चक्कर लगाए बिना उद्योग विभाग द्वारा दिया जाएगा। यह राशि तीन किस्त में अदा की जाएगी। पहली किस्त की राशि भूमि उपलब्धता, दूसरी किस्त की राशि शेड निर्माण और तीसरी किस्त की राशि वर्किंग कैपिटल के रूप में देय होगा।
कोट
एससी-एसटी श्रेणी के युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए ब्याज मुक्त ऋण दिए जाएंगे। इसके लिए ऑनलाइन ओवदन लेकर जिले के अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए प्रयास किया जा रहा है। ऋण राशि पर 50 फीसद अनुदान व शेष बचे 50 फीसद राशि ब्याजमुक्त होगा। शेष राशि का भुगतान 84 माह में जमा करना होगा। ताकि अनुसूचित जाति और जनजाति के इंटर और आइटीआइ उत्तीर्ण अभ्यर्थी उद्यमी बन कर आर्थिक विकास में अपना अहम योगदान दे सकें।
मो. अनीश, डीआइसी, महाप्रबंधक।