दम तोड़ रहा ब्रिटिश जमाने का महानंदा पुल, बेदम हो रहे आवाम
किशनगंज। किशनगंज-तैयबपुर-ठाकुरगंज-गलगलिया (केटीटीजी) सड़क मार्ग पर महानंदा नदी पर बना ब्रिटिश जमाने क
किशनगंज। किशनगंज-तैयबपुर-ठाकुरगंज-गलगलिया (केटीटीजी) सड़क मार्ग पर महानंदा नदी पर बना ब्रिटिश जमाने का पुल दम तोड़ने लगा है। 105 साल पुराना होने के कारण यह जर्जर हो चुका है। ठाकुरगंज प्रखंड को जिला मुख्यालय किशनगंज से यह पुल जोड़ती है। एक शताब्दी से भी अधिक समय बीतने के बाद भी इसके मरम्मति का प्रयास नहीं किया जा रहा है। लोहे के इस पुल पर जगह-जगह जंग लग गया है। पुल के कई हिस्सें क्षतिग्रस्त हो गए है। खासकर भारी वाहन गुजरने के दौरान पुल हिलने लगता है। यूं कहे कि लोग जान हथेली पर लेकर इससे होकर आवाजाही करते हैं। लेकिन इस दिशा में न तो जनप्रतिनिधि व न ही जिला प्रशासन की ओर से कोई प्रयास किया जा रहा है। इस मार्ग में ट्रैफिक बढ़ने व पुल एक लेन होने के कारण कभी-कभी भारी जाम की समस्या से राहगीरों को रुबरु होना पड़ता है। किसी किसी दिन तो 3-4 घंटे जाम में लोगों को फंसे रहना पड़ता हैं। हालांकि इस नदी पर नए पुल निर्माण के लिए करीब ढाई वर्ष पूर्व मिट्टी जांच कराए गए थे। जिससे आमजनों को उम्मीद बढ़ी थी कि अब पुल का निर्माण कार्य अतिशीघ्र शुरू होगा। लेकिन अब तक यह विभागीय पेंच में फंसा हुआ है। राज्य पुल निर्माण निगम के अधिकारी की मानें तो मिट्टी जांच के बाद इसका डीपीआर तैयार कर तकनीकी स्वीकृति के लिए विभाग को भेजा गया है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही पुल निर्माण की दिशा में कदम बढ़ सकेगा।
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वर्ष 1913 में हुआ था निर्माण
महानन्दा नदी पर बने पुल पर अंकित सूचना के मुताबिक इस पुल का निर्माण वर्ष 1913 में ब्रिटिश शासन के दौरान वर्ण एन्ड कंपनी लिमिटेड, हावड़ा (पश्चिम बंगाल) की कंपनी ने कराया था। जानकारी अनुसार पहले इस पुल का निर्माण दार्जि¨लग-हिमालयन रेलमार्ग के तहत नैरो गेज की रेलगाड़ियां चलाने के लिए किया गया था। इसके बाद असम रेलवे ¨लक प्रोजेक्ट (एआरएलपी) के तहत जब नैरो गेज को मीटर गेज के रुप में अमान परिवर्तन किया गया तब इस स्थान से 50 मीटर उत्तर महानंदा नदी पर मीटर गेज के लिए वर्ष 1949 में पुल का निर्माण कराया गया। जिसमें वर्तमान में ब्रॉड गेज की ट्रेन चल रही है। रेलवे सूत्रों के अनुसार दार्जि¨लग-हिमालयन रेल मार्ग के तहत नेरो गेज में रेलगाड़ियां सन 1881 ई. से सिलीगुड़ी तक चल रही थी। वर्ष 1915 ई. में इसमें बढ़ोत्तरी कर ठाकुरगंज होते हुए किशनगंज तक किया गया था। जब 1949 ई. में असम रेलवे ¨लक प्रोजेक्ट (एआरएलपी) के तहत मीटर गेज के लिए ट्रेन का परिचालन प्रारंभ हुआ तब नेरो गेज वाले महानंदा नदी पर बने पुल को आम जनता के आवागमन के लिए सड़क मार्ग से वर्ष 1950 ई. को जोड़ दिया गया। जो आज पथ निर्माण विभाग, किशनगंज के तहत केटीटीजी रोड से जुड़ा हुआ है।
कोट- दो वर्ष पूर्व बिहार राज्य पुल निर्माण निगम द्वारा मिट्टी परीक्षण कर करीब 24 करोड़ की लागत से विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार कर तकनीकी स्वीकृति के लिए पथ निर्माण विभाग बिहार को सुपुर्द किया गया है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही पुल निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे।
भगवान राम, वरीय परियोजना अभियंता, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम, कार्य प्रमंडल कटिहार।