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गवाह का पता नहीं, कैसे हो नक्सल कांड की सुनवा‌र्इ्र

खगड़िया। अलौली थाने में नक्सली घटना को लेकर 2015 में दर्ज कांड संख्या 36/15 में एसपी समेत छह गवाह

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 08:08 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 03:00 AM (IST)
गवाह का पता नहीं, कैसे हो नक्सल कांड की सुनवा‌र्इ्र
गवाह का पता नहीं, कैसे हो नक्सल कांड की सुनवा‌र्इ्र

खगड़िया।

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अलौली थाने में नक्सली घटना को लेकर 2015 में दर्ज कांड संख्या 36/15 में एसपी समेत छह गवाह हैं। इनकी गवाही अबतक नहीं हो सकी है। गवाही नहीं होने की वजह से कांड की सुनवाई नहीं हो पाई है। 8 फरवरी 15 को कचना मुसहरी में हुई नक्सली वारदात में एरिया कमांडर समेत आधा दर्जन नक्सली आरोपित बनाए गए हैं। मालूम हो कि तत्कालीन एसडीपीओ रवि रंजन का तबादला गोपालगंज एसपी के रूप में हो गया। गोपालगंज से रवि रंजन का स्थानांतरण एक माह पूर्व पुलिस ट्रे¨नग सेंटर पटना हो गया है। वहीं उस मामले के गवाह थानाध्यक्ष ललन कुमार का भी दूसरे जिले में तबादला हो गया है। अन्य पुलिसकर्मी गवाहों का भी तबादला हो चुका है। तारीख दर तारीख पड़ रही है। परंतु, गवाही नहीं हो पा रही है।

इस नक्सली घटना में बीते तीन साल से गवाही को लेकर मामला लंबित है। जो खगड़िया के तत्कालीन एसडीपीओ रवि रंजन समेत कई की गवाही को लेकर लंबित चला आ रहा है। बताते चलें कि 8 फरवरी 2015 को अलौली के कचना मुसहरी में नक्सली वारदात बाद अलौली थाना में कांड संख्या 36-15 दर्ज किया गया था। जिसमें नक्सली के एरिया कमांडर समेत आधे दर्जन नक्सलियों को आरोपित किया गया था। जानकारी के अनुसार इस मामले में तत्कालीन सदर एसडीपीओ समेत तत्कालीन थानाध्यक्ष ललन कुमार, हवलदार अर¨वद कुमार ¨सह, परिचारी प्रवर हरिमोहन मिश्र, रामकुमार मुखिया व सोनी देवी को गवाह बनाया गया था। इधर, हाल ही में समीक्षा के दौरान सामने आया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम, खगड़ियाके यहां यह मामला साक्ष्य हेतु लंबित चला आ रहा है। तारीख दर तारीख चल रही है। सूत्रों का कहना हुआ कि अब तक इसमें गवाह पुलिस कर्मी गवाही नहीं दे पाए हैं। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन एसडीपीओ रविरंजन का दो साल पहले गोपालगंज एसपी के रूप में तबादला हो गया। जहां से उनका तबादला पुलिस ट्रे¨नग सेंटर पटना हो गया है।

जबकि थानाध्यक्ष ललन कुमार भी डेढ़ साल पहले खगड़िया से विरमित हो गए। इसी तरह हवलदार व परिचारी प्रवर का भी अन्य थाने में तबादला हो गया। ऐसे में ससमय गवाही नहीं होने से मामला लंबित है। संवेदनशील इस मामले में गवाही को लेकर सार्थक प्रयास नहीं किया जा रहा है। बहरहाल, खगड़िया को नक्सल प्रभावित जिले से मुक्त कर दिया गया है। परंतु, नक्सल कांड लंबित रहने से परेशानी तो है ही।

कोट

'तत्कालीन सदर पुलिस उपाधीक्षक, एक परिचारी प्रवर, एक थानाध्यक्ष, एक हवलदार तथा दो व्यक्तियों के गवाह हेतु कांड लंबित है। संबंधित पुलिस अधिकारियों को न्यायालय में उपस्थिति हेतु निर्देशित किया गया है। इस मामले में दो व्यक्ति के विरुद्ध वारंट निर्गत करने की प्रक्रिया चल रही है।'

मीनू कुमारी, एसपी, खगड़िया। === ===


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