आक्सीजन प्लांट की गड़बड़ी खतरे को दे रहा है आमंत्रण
ोरोना की तीसरी लहर से निपटने को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं। दूसरी ओर सदर अस्पताल परिसर में बन रहे आक्सीजन प्लांट का कार्य छह महीने बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है। खतरनाक बात यह है कि आक्सीजन प्लांट में लगे टावर वन और टावर टू को जोड़ने वाले साकेट पाइप में कई जगहों से गैस का रिसाव हो रहा है।
जागरण संवाददाता, खगड़िया: कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से बड़े-बड़े दावे किए जाते रहे हैं। दूसरी ओर सदर अस्पताल परिसर में बन रहे आक्सीजन प्लांट का कार्य छह महीने बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है। खतरनाक बात यह है कि आक्सीजन प्लांट में लगे टावर वन और टावर टू को जोड़ने वाले साकेट पाइप में कई जगहों से गैस का रिसाव हो रहा है। एयर ड्रायर से टैंक में जाने वाली पाइप के साकेट के पास लीकेज हो रहा है। जो खतरे की घंटी है। उच्च दबाव के साथ बनने वाले आक्सीजन प्लांट में इस प्रकार की गड़बड़ी जानलेवा साबित हो सकती है। यह बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण दे रहा है। बावजूद अस्पताल प्रशासन की उदासीन रवैया समझ से परे है।
सिविल सर्जन डा. अमरनाथ झा का कहना है कि आक्सीजन प्लांट निर्माण एजेंसी से इसके बारे में शिकायत की गई है। एजेंसी का कहना है कि वह तकनीशियन को एक-दो दिन में भेज रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि बीते चार-पांच दिनों से आक्सीजन प्लांट में कई जगह गैस लीकेज हो रहा है। संबंधित एजेंसी सुनने को तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में अगर कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो इसके जिम्मेदार कौन होंगे। इधर, सिविल सर्जन के द्वारा बार-बार आक्सीजन प्लांट को पूर्ण रूप से संचालित करने के लिए कंपनी को हिदायत दी गई है।
---- आक्सीजन प्लांट को पूर्ण रूप से स्थापित करना सबसे बड़ी चुनौती
बीते दिनों आक्सीजन प्लांट का पूर्वाभ्यास कर शुद्ध आक्सीजन 63 बेड तक पहुंचाना शुरू कर दिया गया। मैनीफोल्ड रूम का कार्य पूर्ण करने की बात कही जा रही थी। लेकिन आज भी आक्सीजन प्लांट का कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। जो सबसे बड़ी चुनौती है। निर्माण एजेंसी बार-बार बीच में ही काम छोड़ कर भाग जाती है। मैनीफोल्ड रूम में लगने वाले उपकरण के अभाव में भी कार्य बाधित है। मालूम हो कि बीते छह महीने से स्वास्थ्य विभाग की एजेंसी बीएमआइसीएल द्वारा आक्सीजन प्लांट के निर्माण का कार्य किया जा रहा है। लेकिन छह महीने बाद भी अभी तक पूर्ण रूप से आक्सीजन प्लांट व्यवस्थित नहीं हो सका है। फिलहाल 63 बेड तक आक्सीजन प्लांट से आक्सीजन का पाइप लाइन पहुंचाया जा चुका है। बीते 23 दिसंबर को आक्सीजन प्लांट का पूर्वाभ्यास किया गया था। पूर्वाभ्यास के दौरान आक्सीजन के सप्लाई पाइप में लीकेज पाया गया। जो दो घंटे के मशक्कत के बाद ठीक हो पाया था। दोबारा प्लांट में कई जगह लीकेज हो रहा है। जिसके कारण शुद्ध आक्सीजन निर्बाध रूप से इन 63 बेड तक नहीं पहुंचाया जा रहा है। जहां आक्सीजन प्योरिटी 92 होनी चाहिए, वहां 64 से 65 के बीच हो रहा है। वहीं अभी भी कई कार्य आक्सीजन प्लांट में किए जाने बाकी है। जिसको लेकर अस्पताल प्रशासन द्वारा कई बार संबंधित एजेंसी बीएमआइसीएल को हिदायत दी गई है।