जिले में धान अधिप्राप्ति की गति है धीमी
खगड़िया। धान अधिप्राप्ति की गति जिले में अत्यंत ही धीमी है। जिले के चौथम और परबत्ता प्रखंड में धान अध
खगड़िया। धान अधिप्राप्ति की गति जिले में अत्यंत ही धीमी है। जिले के चौथम और परबत्ता प्रखंड में धान अधिप्राप्ति का कार्य आरंभ भी नहीं हुआ है। शनिवार को जिले के विभिन्न पैक्सों में मात्र 1924.50 क्विंटल धान की खरीदारी हुई। मात्र 32 किसानों ने ही अपने धान का बिक्री की।
इधर, गोगरी के मात्र सात पैक्सों में ही धान अधिप्राप्ति कार्य चल रहा है। जिसमें गौछारी पैक्स भी शामिल है। मालूम हो कि वर्ष 2016 में इस पैक्स के माध्यम से धान की खरीद शून्य रही। इस बार जब जनवरी में सीएम नीतीश कुमार गौछारी आ रहे हैं, तो अब तक यहां 78 क्विंटल धान की खरीद हो सकी है। स्थिति दयनीय है।
शनिवार की दोपहर गौछारी पैक्स का हाल
गौछारी दक्षिण पार स्थित है पैक्स। शनिवार को यहां दोपहर में एक भी किसान नजर नहीं आए। जानकारी लेने पर पता चला कि गौछारी पैक्स अध्यक्ष हरिश्चंद्र प्रसाद गौछारी उत्तर पार भजन गाने गए हुए हैं। स्थिति का आकलन किया जा सकता है। करीब डेढ़ बजे प्रखंड कृषि पदाधिकारी राजेश कुमार अपने अधीनस्थों के साथ गौछारी पैक्स पहुंचे। उन्होंने क्रय किए गए धान का जायजा लिया। बोरियों को देखा और उसकी गिनती की। जानकारी मिली कि 78 क्विंटल धान है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी के पहुंचने पर भी भजन गाने गए पैक्स अध्यक्ष नहीं पहुंचे। इधर, प्रखंड कृषि पदाधिकारी ने बताया कि प्रखंड के सात पैक्सों में धान क्रय शुरू है, जिसमें रामपुर, इटहरी, मुश्कीपुर और गोगरी पैक्स में धान खरीद अब तक शून्य है।
क्या कहते हैं किसान
किसान सोनू चौरसिया ने बताया कि धान क्रय का प्रावधान इतना उलझा हुआ है कि किसान पैक्स पर पहुंचना नहीं चाहते। किसान कम दाम पर ही धान व्यापारी के हाथों बेच रहे हैं।
वहीं किसान संजीत कुमार ने बताया कि पैक्स पर धान खरीद को लेकर कौन इतने सारे कागजात का इंतजाम करे। पंजीकरण में काफी समय लग जाता है। पदाधिकारियों का चक्कर लगाने से बेहतर है कि सीधे अपनी उपज नकद में बेच डालो।
जबकि उमेश कुमार ने कहा कि उन्हें तत्काल पैसे की जरूरत थी इसलिए धान व्यवसायी के हाथों बेच दिया। पैक्स में लंबा समय लग जाता है। दूसरी ओर किसान
ध्रुव कुमार ने बताया कि व्यवसायी सीधे खेत पर आकर धान ले जाते हैं। पैक्स में देने के लिए धान तैयार कर खेत से घर लाना होता है। फिर सुखाकर नमी की मात्रा ठीक करना पड़ता है। जिसमें काफी समय व मजदूरी लगती है। इससे बेहतर है कि धान खेत पर ही व्यापारी को तौल दें।
वहीं गोपाल चौरसिया का कहना हुआ कि पैक्स में धान बड़े किसान ही बेच सकते हैं। साधारण किसान को तो तुरंत पैसे चाहिए।