शांतिपूर्ण तरीके से कुर्बानी का पर्व बकरीद संपन्न
खगड़िया। जिले में खुशियों का त्योहार बकरीद शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। इधर, खगड़िया इ
खगड़िया। जिले में खुशियों का त्योहार बकरीद शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। इधर, खगड़िया ईदगाह में बड़ी संख्या में मुस्लिम भाइयों ने नमाज अदा की। वहीं एक दूसरे से मिलकर बकरीद की बधाई दी। पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष व राजद नेत्री कृष्णा कुमारी यादव ने भी ईदगाह पहुंच लोगों को बकरीद की बधाई दी। वहीं
जामा मस्जिद, थाना रोड खगड़िया में जमियते उलमा-ए- हिन्द, खगड़िया के जिला महासचिव कारी मो. सरफराज आलम के नेतृत्व में बकरीद की नमाज अदा की गई। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि
ईदुल अजहा (बकरीद) की खुशी जो मनाई जाती है, वह भी एक खास ईबादत के पूरा होने के बाद मनाई जाती है। पूरी दुनिया के तमाम हाजी मैदाने अराफात में हज का एक रुकन वकूफे अरफा, जो एक साथ, एक ही दिन, एक ही समय में नौ जिल हिज्जा को अदा करने के बाद हज पूरा हो जाता है। इसी वकूफे अरफा रुकन अदा करने की खुशी में पूरी दुनिया के मुसलमान ईदुल अजहा की दो रिकआत नमाज पढ़कर खुशियां मनाते हैं। और जो साहिबे निसाब हैं उनके ऊपर कुर्बानी वाजिब है। जिनके ऊपर कुर्बानी वाजिब है, अगर वह कुर्बानी नहीं करके दूसरे नेक कामों में लाखों खर्च करने के बाद भी कुर्बानी का सवाब (पुण्य) नहीं मिलेगा। कुर्बानी का गोश्त खाना कोई मकसद नहीं, बल्कि हजरत इब्राहिम अलै हिस्सलाम की सुन्नत पर अमल करते हुए खालिस अल्लाह तआला के लिए जान कुर्बान करना असल मकसद है। कुर्बानी सिर्फ 10, 11 और 12 जिल हिज्जा को करना चाहिए। इसके पहले, इसके बाद कुर्बानी नहीं होगी। बकरीद खुशियों का त्योहार है। रुठे हुए लोगों को मनाने का मौका मिलता है। अगर किसी से कोई नाराजगी है, गिला- शिकवा है, तो यह एक अच्छा मौका है। रुठे लोगों को मना लें, गिले- शिकवे दूर कर लें। यही बकरीद का पैगाम है। नमाज के बाद पूरी दुनिया के साथ-साथ पूरे भारत में अमन- शांति बनी रहे, इसके लिए दुआ की गई।
वहीं चौथम
प्रखंड क्षेत्र में भी शांतिपूर्वक बकरीद संपन्न हुई। प्रखंड के करुआमोड़, नीरपुर, ठुठ्ठी मोहनपुर, धुतौली, सरसवा, कैथी, बरहरा आदि जगहों पर हर्षो-उल्लास के साथ बकरीद मनाई गई। बुधवार की सुबह साढ़े सात बजे विभिन्न मस्जिदों व ईदगाह में बकरीद की नमाज अदा की गई। बकरीद को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। थानाध्यक्ष गुंजन कुमार द्वारा पुलिस बल के साथ सघन गश्ती की जा रही थी। बकरीद की नमाज अदा कर सभी ने एक- दूसरे से गले मिलकर बधाई दी। करुआमोड़ के मो. नौशाद, मो. मुख्तार आदि ने बताया कि यह पर्व मीठी ईद के 70 दिन बाद मनाया जाता है। इस पर्व में बकरे की कुर्बानी दी जाती है। कहा कि बकरीद अपने कर्तव्य को निभाने का और अल्लाह के प्रति अपने विश्वास को कायम रखने का पर्व है। पर्व में बकरे की कुर्बानी दी जाती है। जिसमें तीन हिस्सा विभाजित किया जाता है। पहला हिस्सा गरीबों, बेसहारों का है। दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और पड़ोसियों के लिए निकाला जाता है। और तीसरा हिस्सा अपने परिवार के लिए रखा जाता है। === ===