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'जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी'

खगड़िया। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में खगड़िया का नाम स्वर्णा अक्षरों में अंकित है। यहां के वीर सपूतों ने हंसते-हंसते स्वतंत्रता की बलिवेदी पर प्राण न्यौछावर कर दिया। देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों में शहीद धन्ना माधव भी शामिल हैं। रविवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर लोग शहीद की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। उनके बलिदान को शत-शत नमन करेंगे। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए धन्ना और माधव ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। उनका बलिदान इतिहास के पन्ने में दर्ज है। आज भी उनकी वीर गाथा को सुनकर लोगों में देशभक्ति की धारा प्रफुल्लित हो उठती है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 06:44 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 06:44 PM (IST)
'जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी'
'जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी'

खगड़िया। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में खगड़िया का नाम स्वर्णा अक्षरों में अंकित है। यहां के वीर सपूतों ने हंसते-हंसते स्वतंत्रता की बलिवेदी पर प्राण न्यौछावर कर दिया।

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देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों में शहीद धन्ना, माधव भी शामिल हैं। रविवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर लोग शहीद की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करेंगे। उनके बलिदान को शत-शत नमन करेंगे। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए धन्ना और माधव ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। उनका बलिदान इतिहास के पन्ने में दर्ज है। आज भी उनकी वीर गाथा को सुनकर लोगों में देशभक्ति की धारा प्रफुल्लित हो उठती है।

बापू ने जब अगस्त 1942 में भारत छोड़ो का नारा दिया, तब इसकी गूंज सुदूर खगड़िया-मानसी में भी सुनाई पड़ी। 13 अगस्त 1942 को धन्ना और माधव भी अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने के लिए चल पड़े। क्रांतिकारियों की टोली मानसी क्षेत्र के विभिन्न स्थानों से कूच कर रही थी। हाथों में तिरंगा लेकर 'अंग्रेज भारत छोड़ो' का नारा बुलंद कर रहे थे। उस समय अंग्रेजों की टोली मानसी रेलवे अधिकारी विश्रामालय के निकट डेरा डाले हुए थी। अंग्रेज यहीं से आसपास के क्षेत्र पर शासन किया करते थे। धन्ना और माधव जैसे ही हाथों में तिरंगा लेकर उक्त स्थल के आसपास पहुंचे, तभी अंग्रेजों ने गोलियों की बौछार कर दी। दोनों वीर सपूत शहीद हो गए। देश की आजादी के लिए सीने पर गोली खाकर तिरंगे को झुकने नहीं दिया। आज भी उनकी यादों को सुनकर युवा देश के प्रति भावुक हो उठते हैं। शहीद धन्ना और माधव की यादें आज भी जिदा हैं। प्रत्येक वर्ष 13 अगस्त को शहीद स्थल पर उनकी शहादत को सलाम किया जाता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर वीर पुरुष को श्रद्धासुमन अर्पित कर उनकी गाथा सुनाई जाती है। धन्ना खुटिया पंचायत के बजरंग टोला स्थित शिवलाल महतो के पुत्र थे। माधव पश्चिमी ठाठा पंचायत अंतर्गत बख्तियारपुर गांव निवासी सूर्यनारायण सिंह के पुत्र थे। दोनों ही माता-पिता के इकलौते संतान थे।


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