पानी में जा रहा पेयजल का पैसा
खगड़िया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फरवरी 2018 में गौछारी आए थे। तब उन्होंने यहां के वार्ड
खगड़िया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फरवरी 2018 में गौछारी आए थे। तब उन्होंने यहां के वार्ड संख्या-छह में हर घर नल का जल योजना की शुरुआत की थी। एक साल बीत चुका है, पर इस वार्ड के महज 225 घरों तक भी पेयजल पहुंचाया नहीं जा सका है। यह कि कार्यकारी एजेंसी पीएचईडी के अधिकारी भी अनुमानित आधार पर कहते 40 फीसद घरों तक पानी पहुंच गया होगा।
यह जनोपयोगी योजनाओं के क्रियान्यवन की सरकारी चाल और योजनाओं को लेकर सरकारी तंत्र की उदासीनता एक उदाहरण है। यह योजना बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सात निश्चय के तहत है। ऐसे में कह सकते हैं कि सरकारी मशीनरी मुख्यमंत्री के इस पायलट प्रोजेक्ट पर भी गंभीर नहीं। पर बात यहां खत्म नहीं होती। अधिकारी-ठेकेदार के गठजोड़ ने इसे भी खाऊ-पकाऊ योजना बना दिया है। जो काम हो चुके हैं उसमें गुणवत्ता का कोई ख्याल नहीं रखा गया है। इन 40 फीसद घरों में भी महीनों से वाटर सप्लाई बंद है। जलमीनार के नाम पर लगाया गया दो हजार लीटर का फाइवर टंकी सूख चुका है। मशीनें खराब हो रही हैं। आधे से अधिक नलें टूट चुकी हैं और पाईप भी कई जगहों पर लीक बताया जा रहा है। कह सकते हैं कि सरकार की ओर से जनता को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए दिया जा रहा पैसा पानी में जा रहा है।
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क्या कहते हैं लोग
गणपत चौरसिया ने बताया कि घर में नल शोभा बढ़ा रहा है। मुख्यमंत्री के जाने के बाद कोई देखने वाला नहीं है। कहा, उनके घर में वाटर पाइप ले जाने के लिए रोड को काटा गया। परंतु, शुद्ध पानी सपना ही है।
कंचन देवी के अनुसार डेढ़ दो माह ही पानी मिला। उसके बाद से वाटर सप्लाई बंद है। गीता देवी ने कहा कि पानी आता ही नहीं है। नल बेकार पड़ा है। चापाकल ही सहारा है। जबकि खोखो देवी ने कहा कि सरकार का पैसा पानी में गया। लोग पूर्ववत चापाकल चलाने को विवश हैं।
रीता देवी ने बताया कि उनके घर में नल जल का कोई लाभ नहीं है। बहुत ही कम लोगों को फायदा मिला है।
अमित कुमार ने कहा कि नल चलता ही नहीं है।