राजेन्द्र सरोवर को है खेवनहार की तलाश
खगड़िया। जिला मुख्यालय स्थित राजेन्द्र सरोवर का भव्य अतीत रहा है। कभी राजेन्द्र सरोवर उद्यान क
खगड़िया। जिला मुख्यालय स्थित राजेन्द्र सरोवर का भव्य अतीत रहा है। कभी राजेन्द्र सरोवर उद्यान को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते थे। रात्रि में दुधिया रोशनी के बीच इस सरोवर को निहारना, उद्यान में टहलना लोगों को शुकून प्रदान करता था। राजेन्द्र सरोवर में सैर करने के लिए मोटरवोट की भी व्यवस्था थी, लेकिन कालांतर में प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह उद्यान अपना अस्तित्व खो चुका।
जिला मुख्यालय में लगभग पांच एकड़ भूभाग में फैला यह एकमात्र तालाब है। राजेन्द्र सरोवर उद्यान पूर्व में सन्हौली पोखर पार के रूप में जाना जाता था। लगभग तीन दशक पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी अजीत कुमार एवं एसडीओ संतोष मैथ्यू ने सन्हौली पोखर पार का नया नामाकरण राजेन्द्र सरोवर उद्यान करते हुए उद्यान का कायाकल्प कर दिया। भव्य द्वार का निर्माण किया गया। सन्हौली पोखर पार को उद्यान का स्वरूप प्रदान करने की प्रक्रिया के तहत सरोवर के चारों तरफ तरह-तरह के फूल लगाए गए। चारों तरफ ईंट सो¨लग सड़क का निर्माण किया गया। रंग-बिरंगे बल्ब लगाए गए। दर्जनों कंक्रीट के बेंच लगाए गए।उद्यान की सुरक्षा के लिए चारदीवारी का निर्माण किया गया। इस तरह राजेन्द्र सरोवर उद्यान लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया। लेकिन जिलाधिकारी अजीत कुमार का स्थानांतरण होते ही उद्यान की दुर्दशा शुरू हो गई। धीरे-धीरे इसका अतिक्रमण शुरू हो गया। स्थानीय लोगों ने इस उद्यान के कायाकल्प की मांग की है।