नदियों के नैहर में सूखे का कहर
खगडि़या। नेपाल के जल ग्रहण क्षेत्र से लगातार पानी छोड़े जाने से एक तरफ खगड़िया में कोसी और बागमती उफा
खगडि़या। नेपाल के जल ग्रहण क्षेत्र से लगातार पानी छोड़े जाने से एक तरफ खगड़िया में कोसी और बागमती उफानाई हुई है, दूसरी तरफ यहां बारिश नहीं होने से सूखे की स्थिति बन गई है। खासकर जिले के बेलदौर में जहां तीन हजार हेक्टेयर भूमि में धान की खेती होती है वहां किसान हताश हैं। सूखाड़ कहर बरपा रहा है। सैकड़ों एकड़ में लगा बिचड़ा सूख रहा है। ऐसा तब है जब यहां तीन नहरें भी हैं।
यूं तो इस इलाके की मुख्य फसल मकई है, पर धान भी दूसरी मुख्य फसल है। नदियों के नैहर कहे जाने वाले खगड़िया की नदियां लबालब हैं, पर यहां नहरों में पानी नहीं छोड़े जाने से लोग खेती इंद्रदेव की कृपा पर निर्भर हैं। क्षेत्र की तीन नहरें बेकार पड़ी हैं। माली नहर का अस्तित्व ही खतरे में है। दिघौन नहर में पानी ही नहीं है। यही हाल बेलदौर-पनसलवा प्रशाखा नहर की है। बारिश की कमी और प्रखंड में एक भी सरकारी नलकूप नहीं रहने से किसानों की परेशानी बढ़ गई है। किसान निजी पंपसेट से महंगे दर पर धान की रोपणी करने की कोशिश कर रहे हैं।
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क्या कहते हैं किसान
धड़क्का ¨सह बासा के सुरेश ¨सह ने कहा कि खेत में बिचड़ा तैयार है। पर बारिश नहीं हो रही है। लगता है पंपसेट चलाकर धान की रोपाई करनी होगी। परेशानी यह कि पंपसेट वाले 150 रुपये घंटे की मांग करते हैं। मुरली के संतोष यादव ने कहा कि इंद्रदेव नाराज चल रहे हैं। बारिश नहीं होने से बिचड़ा सूखने की नौबत आ रही है। क्या करें! कुछ समझ में नहीं आता। दिघौन के तवरेज आलम ने बताया कि कदवा करने के बाद ही धान की रोपनी की जाती है। लेकिन ¨सचाई का एकमात्र सहारा पंपसेट ही है। जिससे ¨सचाई महंगी है।
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महंगी है पंपसेट से सिंचाई
एक बीघे धान की खेती को रोपणी के लायक बनाने आठ से दस घंटे पंपसेट चलाना पड़ता है। ऐसे में एक बीघे की ¨सचाई में 12 से 15 सौ रुपये पड़ते हैं।
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किसानों के लिए ¨सचाई की समस्या बनी हुई है। नहर को दुरुस्त करने को लेकर वरीय अधिकारियों को लिखा जाएगा।
अभिमन्यु कुमार ¨सह
प्रखंड कृषि पदाधिकारी
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नहर में पानी छोड़ दिया गया है। 25 जुलाई से पूर्व नहर पानी से लबालब हो जाएगा। वहीं कुछ छहर-नाला को जल्द से जल्द दुरुस्त कराने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि नहर का पानी आसानी से खेतों तक पहुंच सके।
विनोद कुमार
कनीय अभियंता, ¨सचाई विभाग, मुरलीगंज