स्वतंत्रता की बलिवेदी पर हंसते हंसते किए प्राण न्योछावर
गणतंत्र दिवस को लेकर जिले में उत्साह है। स्वतंत्रता संग्राम में खगड़िया का नाम भी स्वर्णाक्षरों में अंकित है। यहां के कई नौजवानों ने हंसते-हंसते स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
उपेंद्र, संवाद सूत्र, परबत्ता (खगड़िया): गणतंत्र दिवस को लेकर जिले में उत्साह है। स्वतंत्रता संग्राम में खगड़िया का नाम भी स्वर्णाक्षरों में अंकित है। यहां के कई नौजवानों ने हंसते-हंसते स्वतंत्रता की बलिवेदी पर अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उनमें एक ही दिन एक ही समय कोलवारा पंचायत के चार बलिदानियों का बलिदान भी स्मरणीय है। उनमें कोलवारा पंचायत के तेहाय के चंचल मिस्त्री, भोला मंडल, चमकलाल पासवान व तेलिया बथान के मुंदर भगत शामिल थे। उन्होंने यह बलिदान 1942 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अंग्रेजों भारत छोड़ों के नारे को साकार करने के लिए दिया था। उन्होंने रेल लाइन काटकर अंग्रेज सिपाहियों की नींद उड़ा दी थी। अंग्रेज फौज ने वर्तमान बंदेहरा- भरतखंड पथ पर तेहाय गांव के निकट चारों को गोलियों से छलनी कर दिया था। चारों घटना स्थल पर ही शहीद हो गए थे। आज भी देश के लिए उनके उस बलिदान को याद कर लोग देशभक्ति की भावना से भर उठते हैं। भरसो के जागेश्वर चौधरी को भी बिहपुर अंचल के तेलघी गांव में अंग्रेज सैनिकों ने गोली से उड़ा दिया था। खनुआ राका गांव के परमेश्वर झा को अंग्रेजों ने सुल्तानगंज में रेल पटरी उड़ाने के क्रम में गोलियों से भून डाला था। लेकिन दुखद बात है कि इन अमर वीर बलिदानियों की एक अदद प्रतिमा तक नहीं स्थापित है। उनका कहीं कोई स्मारक भी नहीं है। जहां इनके नाम को पढ़कर नई पीढ़ी इस स्वर्णिम इतिहास को जान सकें।
तेलिया बथान गांव के अमर बलिदानी मुंदर भगत के स्वजन अजय कुमार भगत ने कहा कि उनके परिवार की सुधि लेने कभी कोई नहीं पहुंचे। उनके दादा के नाम पर आज तक इस क्षेत्र में कोई स्मारक नहीं बना।
परबत्ता बीडीओ अखिलेश कुमार ने कहा कि यदि उन अमर शहीदों के स्वजन कोई लिखित एविडेंस कहीं से उपलब्ध कराते हैं, तो उनके नाम पर ग्राम सभा से पारित कराकर स्मारक बनाया जाएगा।