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लगान चुकाए किसान, मछली मारे पहलवान

खगड़िया। प्रखंड के किसानों के सामने कई समस्याएं हैं। सबसे बड़ी समस्या है उनकी सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि जो दशकों पूर्व गंगा के कटाव में कटकर गंगा में समा गया था। अब उस जमीन पर गंगा की उपधारा बह रही है। कुछ जगहों पर मरगंग हैं, जहां पानी फंसा हुआ है। उसमें मछली पालन किया जा रहा है। किन्तु, किसान मछली को तरस रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 10:05 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 10:05 PM (IST)
लगान चुकाए किसान, मछली मारे पहलवान
लगान चुकाए किसान, मछली मारे पहलवान

खगड़िया। प्रखंड के किसानों के सामने कई समस्याएं हैं। सबसे बड़ी समस्या है उनकी सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि जो दशकों पूर्व गंगा के कटाव में कटकर गंगा में समा गया था। अब उस जमीन पर गंगा की उपधारा बह रही है। कुछ जगहों पर मरगंग हैं, जहां पानी फंसा हुआ है। उसमें मछली पालन किया जा रहा है। किन्तु, किसान मछली को तरस रहे हैं।

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विडंबना है कि जमीन का लगान भी किसान चुका रहे हैं। लेकिन मछली दियारा क्षेत्र के दबंग मारकर ले जाते हैं। सीधे साधे किसान देते रह जाते हैं। विरोध करने पर किसानों को धमकियां मिलती है। जिन किसानों की जमीन पर मछली पालन किया जा रहा है उनमें श्रीरामपुर ठुठ्ठी, तेमथा करारी, सिराजपुर, डुमरिया बुजुर्ग आदि जगहों के किसान शामिल हैं। प्रशासन द्वारा उप धारा में मछली को लेकर बंदोबस्ती की जाती है। इसको लेकर किसानों ने 2006 में प्रखड सह अंचल कार्यालय पर अनशन भी किया था। तत्कालीन बीडीओ ने किसानों की समस्या का समाधान कराये जाने का आश्वासन दिया था। किन्तु, आज तक किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो सका है। विडंबना है कि लगान किसान भरते हैं और मछली पहलवान मारकर ले जाते हैं। पूर्व मुखिया जयजयराम चौधरी, नेपाली ¨सह, कौशल किशोर चौधरी, शैलेन्द्र चौधरी आदि ने बताया कि मछली मारने को लेकर कभी-कभी गोलीबारी भी होती है। इससे क्षेत्र में दहशत का माहौल बन जाता है। किसानों को दियारा छोड़ने पड़ जाते हैं। कहते हैं अधिकारी

प्रभारी सीओ सह बीडीओ रविशंकर कुमार ने कहा कि मामला वर्षों पुराना है। वे अभिलेख अवलोकन करने के बाद ही कुछ कह पाएंगे।

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