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पेज तीन : नदी किनारे गांव, कहां खोजे ठांव

खगड़िया। सरकार की ओर से राज्य भर में विभिन्न नदियों पर लोगों की आवागून की सुविधा के लिए पुल-पुलिया का निर्माण कराया गया है। लेकिन जिले के चौथम प्रखंड स्थित दियारा में बसी आबादी को आजादी के 71 वर्ष बीतने के बावजूद भी नाव के सहारे ¨जदगी कट रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 09:33 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 09:33 PM (IST)
पेज तीन : नदी किनारे गांव, कहां खोजे ठांव
पेज तीन : नदी किनारे गांव, कहां खोजे ठांव

खगड़िया। सरकार की ओर से राज्य भर में विभिन्न नदियों पर लोगों की आवागून की सुविधा के लिए पुल-पुलिया का निर्माण कराया गया है। लेकिन जिले के चौथम प्रखंड स्थित दियारा में बसी आबादी को आजादी के 71 वर्ष बीतने के बावजूद भी नाव के सहारे ¨जदगी कट रही है। धमारा घाट से लेकर सोनवर्षा घाट के बीच बहने वाली बागमती नदी पर एक भी पुल का निर्माण नहीं कराया जा सका है। जिससे नदी के किनारे दियारा में बसी गांवों के लोगों को आवागमन में काफी परेशानी हो रही है। पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण आज भी यह क्षेत्र उपेघित है। चौथम प्रखंड में स्थित रोहियार, सरसवा, बुच्चा व ठुठ्ठी मोहनपुर पंचायत की लगभग 60 हजार की आबादी का विभिन्न स्थानों तक पहुंचने का एक मात्र साधन आज भी रेल ही है। जिससे लोगों को समयानुसार सफर करने की मजबूरी है। नहीं तो नाव के सहारे ही लोग विभिन्न जगहों तक पहुंचते हैं। सरकारी अस्पताल हो या प्रखंड मुख्यालय लोग नाव से ही नदी पार कर गंतव्य तक पहुंच पाते हैं। लोगों का कहना है कि आखिर कब तक इस नाव के सहारे नदी पार कर सुरक्षित यात्रा कर सकेंगे।

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लोगों की सूनें

पूर्व जिप उपाध्यक्ष मिथिलेश यादव, पंसस अनिल कुमार ¨सह, रोहियार पंचायत के मुखिया वृजेंद्र यादव, बुच्चा के पूर्व मुखिया उपेंद्र प्रसाद ¨सह, सरसवा के फोटो यादव, सुभाष यादव आदि का कहना है कि वर्षों से दियारा के लोग एक पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक आस पूर्ण नहीं हो सकी है। जबकि मालपा घाट व रोहियार घाट एवं नवादा घाट से खरैता घाट के बीच पुल का प्रस्ताव पास है। लेकिन इस ओर विभागीय पदाधिकारी ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। पदाधिकारी की ओर से सिर्फ आश्वासन ही दिए जा रहे हैं। उक्त लोगों ने बताया कि स्वस्थ्य केंद्र व प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए लोगों को विभिन्न घाटों से नाव की सवारी कर खतरों के बीच यात्रा करना शायद नियति बन चुकी है। गंभीर रुप से बीमार मरीजों व प्रसव कराने जाने वाली महिलाओं को काफी परेशानी से गुजरना पड़ता है। कभी-कभी तो मरीजों की मौत रास्ते में ही हो गई। वहीं लोगों ने कहा कि पुल बन जाने के बाद एक हद तक अपराध व अपराधी पर भी लगाम लग सकेगा।

कोट

'नवादा घाट से खरैता घाट पर बनने वाली पुल का प्रस्ताव भेज दी गई है। जल्द ही इस दिशा में कोई निर्देश राज्य की ओर आने की संभावना है।'

कुलानंद यादव, कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग गोगरी ========


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