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कोसी बदलते रहती है भूगोल, विस्थापित होते रहते हैं गांव-टोले

खगडि़या। जिले का बेलदौर प्रखंड कोसी और काली कोसी नदी से घिरा हुआ है। कोसी नदी प्रत्येक वर्ष यहां कटाव करती है, जिससे विस्थापन का सिलसिला दशकों से जारी है। लेकिन, इन विस्थापितों की ओर किन्हीं का ध्यान नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Sep 2018 08:41 PM (IST)Updated: Mon, 03 Sep 2018 09:38 PM (IST)
कोसी बदलते रहती है भूगोल, विस्थापित होते रहते हैं गांव-टोले
कोसी बदलते रहती है भूगोल, विस्थापित होते रहते हैं गांव-टोले

खगडि़या। जिले का बेलदौर प्रखंड कोसी और काली कोसी नदी से घिरा हुआ है। कोसी नदी प्रत्येक वर्ष यहां कटाव करती है, जिससे विस्थापन का सिलसिला दशकों से जारी है। लेकिन, इन विस्थापितों की ओर किन्हीं का ध्यान नहीं है। वे दर-दर की ठोकरें खाने को विवश है। कोसी की कटाव के कारण

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तिरासी, आनंदी ¨सह बासा, डुमरी, पचाठ एवं इतमादी का भौगोलिक नक्शा बदलते रहता है। इस वर्ष कोसी की कटाव के कारण इतमादी पंचायत स्थित कुंजहरा गांव के छह दर्जन से ऊपर परिवार को विस्थापित होना पड़ा। प्राथमिक विद्यालय कुंजहारा भी नदी में विलीन हो गया।

सभी विस्थापित परिवार बांध पर अथवा लीज पर जमीन लेकर किसी तरह से जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं।

विस्थापितों में पचाठ स्थित मुनी टोला के कारे मुनी, फूलो मुनी, महेंद्र मुनि ने बताया कि अब तक चार दफा कोसी कटाव से विस्थापित हो चुके हैं। परंतु, पुनर्वास नहीं मिला है। कुंजहरा के दीपक शर्मा, विकास शर्मा ने बताया कि इस दफा कोसी कटाव से छह दर्जन से अधिक परिवार विस्थापित हुए। लेकिन, सभी दर-दर की ठोकर खाने को विवश है। बोले, सीओ अमित कुमार

विस्थापितों के पुनर्वास को लेकर जमीन की तलाश जारी है। जमीन मिलते ही बासगीत का पर्चा उपलब्ध करा दिया जाएगा।

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