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विस्थापितों का दर्द, हुजूर, जाएं तो जाएं कहां

खगड़िया। गोगरी प्रखंड का एक पंचायत बन्नी है, जहां समस्याओं का अंबार लगा है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या असहाय महादलित के पुनर्वास को लेकर है। मालूम हो कि इंगलिश बन्नी गांव में चार दशक पूर्व कटाव हुए था। गंगा कटाव से विस्थापित होकर दर्जनों महादलित परिवार जीएन तटबंध पर पिछले 46 वर्षो से झोपड़ी बना कर रह रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 08:11 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 08:11 PM (IST)
विस्थापितों का दर्द, हुजूर, जाएं तो जाएं कहां
विस्थापितों का दर्द, हुजूर, जाएं तो जाएं कहां

खगड़िया। गोगरी प्रखंड का एक पंचायत बन्नी है, जहां समस्याओं का अंबार लगा है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या असहाय महादलित के पुनर्वास को लेकर है। मालूम हो कि इंगलिश बन्नी गांव में चार दशक पूर्व कटाव हुए था। गंगा कटाव से विस्थापित होकर दर्जनों महादलित परिवार जीएन तटबंध पर पिछले 46 वर्षो से झोपड़ी बना कर रह रहे हैं। बीते 46 वर्षों में इन लोगों को अब तक सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिल सकी है। इन महादलित परिवारों को अब तक पुनर्वासित नहीं किया जा सका है। अब इन्हें जीएन तटबंध पर से भी हटाया जा रहा है।

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जीएन तटबंध के पक्कीकरण को लेकर मिट्टी भराई का काम चल रहा है। महादलितों की झोपड़ियों को ठेकेदार के लोगों

द्वारा उखाड़ा जा रहा है। साथ ही धमकी भी दी जा रही है। इस संदर्भ में महादलितों ने डीएम, एसपी, एसडीओ और सीओ को आवेदन देकर पुनर्वास की मांग की है। आवेदन के साथ ही पुनर्वास को लेकर सरकार व डीएम के आदेश पत्रांक 508/2016 की छायाप्रति भी संलग्न की गई है। आवेदन में कहा गया है कि ठेकेदार के लोग उनकी झोपड़ी को तटबंध पर से नीचे फेंक दिया है। तटबंध के नीचे से जमीन मालिक खदेड़ रहे हैं। झोपड़ी बनाने नहीं दे रहे हैं। अब वे परिवार लेकर कहां जाएं।

क्या कहते हैं प्रखंड प्रमुख

प्रखंड प्रमुख श्रीकांत ¨सह ने ने कहा कि प्रभावित परिवारों की मांग जायज है। वे भी महादलित परिवारों के पुनर्वास के लिए प्रयास कर रहे हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

सीओ कुमार रविन्द्र नाथ ने कहा कि पुनर्वास पर विचार किया जा रहा है।

क्या हुई प्रशासनिक कार्रवाई

वर्ष 1992 में तत्कालीन डीएम की नजर बन्नी की इस समस्या पर पड़ी। उनके प्रयास से बिहार सरकार ने वर्ष 1994 में गंगा कटाव से बन्नी के विस्थापित परिवारों के पुनर्वास के लिए प्रस्ताव संख्या 1 - 1994 को मंजूरी दे दी। इस आलोक में गोगरी अंचल द्वारा 14 एकड़ जमीन पुनर्वास हेतु अधिग्रहण भी किया गया। परंतु, भू-माफिया के सामने न तो सरकार की चली और न ही जनप्रतिनिधियों की ही। परिणाम स्वरूप यह फाइल सदा के लिए दफन हो गई।


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