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80 लाख का जलमीनार हुआ बेकार

खगड़िया। गंगा किनारे बसे अधिकांश गांव आर्सेनिक की चपेट में है। जबकि पानी में आयरन की मात्रा भी मानक से अधिक है। इसलिए हाल के वर्षों में चर्मरोग, पेट से संबंधित रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ी है। राज्य सरकार जिले के गंगा किनारे अवस्थित पंचायतों में आयरन रिमूवल प्लांट लगाकर शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की कोशिश में है। जबकि ग्रामीण जलापूर्ति योजना के माध्यम से भी लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराए जा रहे हैं। नल जल योजना को भी धरातल पर उतारने की कोशिश है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 09:52 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 09:52 PM (IST)
80 लाख का जलमीनार हुआ बेकार
80 लाख का जलमीनार हुआ बेकार

खगड़िया। गंगा किनारे बसे अधिकांश गांव आर्सेनिक की चपेट में है। जबकि पानी में आयरन की मात्रा भी मानक से अधिक है। इसलिए हाल के वर्षों में चर्मरोग, पेट से संबंधित रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ी है। राज्य सरकार जिले के गंगा किनारे अवस्थित पंचायतों में आयरन रिमूवल प्लांट लगाकर शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की कोशिश में है। जबकि ग्रामीण जलापूर्ति योजना के माध्यम से भी लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराए जा रहे हैं। नल जल योजना को भी धरातल पर उतारने की कोशिश है।

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परबत्ता में लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने को लेकर वर्ष 2006-07 में प्रखंड कार्यालय परिसर के पूर्वी छोड़ पर पीएचइडी विभाग की ओर से 7700 गैलन क्षमता वाले जलमीनार का निर्माण किया गया। जलमीनार का निर्माण 80.66 लाख रुपये की लागत से हुआ। शुद्ध पेयजल को लेकर परबत्ता बाजार, प्रखंड मुख्यालय के इर्द- गिर्द पाइप लाइन का जाल बिछाया गया। लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण यह जलमीनार हाथी का दांत साबित हो रहा है। प्रखंड कार्यालय परिसर और परबत्ता बाजार में पाइप से जगह-जगह पानी बह रहा है। जिसके कारण लोग पीएचइडी पर प्रश्न खड़े कर रहे हैं। विडंबना है कि निर्माण के 11 वर्ष बाद भी जलमीनार से शुद्ध पेयजल लोगों को नहीं मिल रहा है। इस अव्यवस्था को देखने वाला कोई नहीं है। क्या कहते हैं अधिकारी

पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता राजीव कुमार ने बताया कि कुछ जगहों पर पूर्व में पाइप लाइन लगाया गया था। जिसका टोटी लोगों ने खींच लिया है। अभी तक जलमिनार चालू है। लोगों को कनेक्शन देने के लिए डीपीआर विभाग को भेजा गया है। स्वीकृत होने के बाद ही इसका कनेक्शन दिया जायेगा।


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