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विद्यालय का रिजल्ट 94 प्रतिशत, व्यवस्था व सुविधा शून्य

संवाद सूत्र महेशखूंट (खगड़िया) सरकारी विद्यालयों का हाल जानने को लेकर जागरण टीम मंगलव

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 11:46 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 11:46 PM (IST)
विद्यालय का रिजल्ट 94 प्रतिशत, व्यवस्था व सुविधा शून्य
विद्यालय का रिजल्ट 94 प्रतिशत, व्यवस्था व सुविधा शून्य

संवाद सूत्र, महेशखूंट (खगड़िया): सरकारी विद्यालयों का हाल जानने को लेकर जागरण टीम मंगलवार को बन्नी पंचायत की उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय चैधा बन्नी चंडीटोला पहुंची। यह विद्यालय उस समय चर्चा में आया था जब विद्यालय की चारदिवारी गिरने से छह मजदूरों की मौत हुई थी। चारदीवारी निर्माण में अनियमितता को लेकर सवाल उठाए गए थे। खैर, टीम 10 बजे के करीब विद्यालय पहुंची। विद्यालय के बाहर कुछ बच्चे घूमते फिरते दिखे। अंदर विद्यालय में प्रधानाध्यापक सुरेंद्र कुमार समेत पांच शिक्षक मौजूद दिखे। यहां बीच विद्यालय होकर आरइओ रोड समेत एक ग्रामीण सड़क गई है। जिस पर लोगों की आवाजाही हो रही थी। विद्यालय परिसर में बालू- गिट्टी और मिट्टी का ढेर लगा हुआ था। इसके अलावा एक ट्रक महीनों से यहां पड़ा हुआ है। विद्यालय में वर्ग प्रथम से दशम तक की पढ़ाई होती है। यहां वर्ग अष्टम तक कुल नामांकित छात्र- छात्राओं की संख्या 392 है। जिसमें मंगलवार को मात्र 135 बच्चे ही उपस्थित थे। यहां पर वर्ग नवम में नामांकित छात्र- छात्राओं की संख्या 143, तो दशम में 169 है। जबकि उपस्थिति आधी भी नहीं थी। यहां उच्च विद्यालय में वर्ग नवम व दशम के लिए कोई शिक्षक पदस्थापित नहीं हैं। वर्ग का संचालन भी नहीं होता है। मध्य विद्यालय को उत्क्रमित तो किया गया, पर वर्ग नवम व दशम के लिए कोई सुविधा नहीं दिखी। न तो प्रयोगशाला दिखा, न कामन रूम। हां, स्मार्ट क्लास के लिए एक कमरा में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की गई है। शिक्षक नहीं रहने के कारण यहां के नामांकित छात्र- छात्रा पूरी तरह से निजी ट्यूशन पर निर्भर हैं। जबकि प्रधानाध्यापक के अनुसार यहां मैट्रिक का रिजल्ट 94 प्रतिशत तक रहा है। प्रधानाध्यापक के अलावे यहां मात्र पांच शिक्षक हैं। एक शिक्षक पिछले पांच माह से मास्टर ट्रेनर के रूप में जिला में पदस्थापित है। यहां भवन का भी अभाव दिखा। यहां पूर्व के बने केवल सात कमरे हैं। जिसमें एक कार्यालय कक्ष व एक स्मार्ट क्लास के रूप में उपयोग किया जाता है। पढ़ाई के लिए केवल पांच कमरे हैं। जिसमें वर्ग एक से दशम तक के बच्चों का वर्ग संचालन होता है। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अंदाजा लगाया जा सकता है। विद्यालय प्रांगण में तीन चापाकल दिखा, परंतु एक चापकल ही सही था। दो खराब पड़े थे। नल जल योजना का तीन नल लगा है, जो केवल शोभा बढ़ा रही है। इससे पानी नहीं निकलता है।

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बच्चों को नहीं मिला योजना का लाभ

प्रधानाध्यापक ने बताया कि वर्तमान सत्र में विभिन्न योजनाओं का लाभ विद्यालय को मिल गया है। लेकिन बीते सत्र 2019-20 के छात्र- छात्राओं को आज तक किसी प्रकार का लाभ नहीं मिला। साइकिल, पोषाक, छात्रवृति आदि की राशि बच्चों को नहीं मिली है।

वर्ष 1934 से संचालित है विद्यालय

इस विद्यालय की स्थापना 1934 में हुई। तब यह प्राथमिक विद्यालय था। जिसे सरकार द्वारा 1985 में मध्य विद्यालय में परिणत किया गया। वहीं वर्ष 2019 में इसे उत्क्रमित कर उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाया गया। वर्ष 2019 से यहां वर्ग नवम में नामांकन लेने के साथ पढ़ाई आरंभ हुई। परंतु, अबतक उच्च विद्यालय में न तो शिक्षक दिए गए हैं और न भवन व उपस्कर की व्यवस्था हुई है।


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