गोपालन से लेकर ब्यूटी पार्लर तक चलाती हैं महिलाएं
खगड़िया। जिले की एक पंचायत है वासुदेवपुर। इस पंचायत का एक गांव है पितौझिया। वहां की महि
खगड़िया। जिले की एक पंचायत है वासुदेवपुर। इस पंचायत का एक गांव है पितौझिया। वहां की महिलाओं ने पंचायत की सूरत ही बदल दी है। उस गांव में लगभग 55 स्वयं सहायता समूह कार्यरत हैं। उनसे जुड़कर महिलाएं गोपालन, मुर्गी पालन और व्यूटी पार्लर के माध्यम से नारी सशक्तीकरण की मिसाल पेश कर रही हैं। अब कर्जा-पैंचा दूर की बात है। यहां महाजन नहीं मिलते हैं। डेढ़ दशक में यहां की महिलाओं ने गांव की दशा और दिशा दोनों बदल दी है। यहां की महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर हो रही है बल्कि स्वयं सहायता समूह बनाकर अन्य
महिलाओं को भी आत्मनिर्भर होने का गुर सिखा रही है।
55 स्वयं सहायता समूह है कार्यरत
जानकारी अनुसार पितौझिया गांव में 2001-2002 में कौशल्या देवी, कल्याणी देवी ने पाटलीपुत्रा संस्थान के सहयोग से स्वयं सहायता समूह बना महिलाओं को जागरुक करने का कार्य आरंभ किया। आज सात हजार की आबादी वाले इस गांव में 55 से अधिक स्वयं सहायता समूह हैं। आज सभी समूह जीविका से जुड़ चुकी है।
गांव में पांच ग्राम संगठन भी कार्यरत है। महाजन से कर्ज की बात यहां की महिलाएं लगभग भूल चुकी हैं। कर्ज लेना-देना स्वयं सहायता समूह के माध्यम से होता है। समूह के माध्यम से महिलाएं गो-पालन करती है। इतना ही नहीं गाय की दूध भी खुद दूहती है। गाय की दूध बेचकर महिलाएं आत्मनिर्भर है।
जरा, इनकी सुनिए..
क्रांति समूह की रुबी देवी और नूतन देवी कहती है- गांव की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल गई है। तुलसी ग्राम संगठन की जगतमणि देवी कहती है- जो महिलाएं पहले घर से बाहर नहीं निकलती थी, आज समूह से जुड़कर खुद का रोजगार कर रही है। फुदो देवी गोपालन करती है जबकि प्रेमलता मुर्गा फॉरम चला रही है। रीमा देवी और पूनम देवी कृषि कार्य कर रही है।