बारिश व ओलावृष्टि ने तोड़ी किसानों की कमर
किशनगंज। जिले में प्राकृतिक आपदा किसानों का पीछा नहीं छोड़ रहा है। पिछले साल अगस्त में आई बाढ़ से किस
किशनगंज। जिले में प्राकृतिक आपदा किसानों का पीछा नहीं छोड़ रहा है। पिछले साल अगस्त में आई बाढ़ से किसान संभले भी नहीं थे कि हाल ही में एक सप्ताह पूर्व आई बारिश व ओलावृष्टि ने किसानों की कमर ही तोड़ दी। बाढ़ में फसल क्षति के गमों को भूलकर किसानों ने नए उत्साह के साथ फिर से मक्का व गेहूं की खेती व्यापक पैमाने पर की थी। इस बार गेहूं से ज्यादा मक्का ही किसानों ने खेतों में लगाया था। एक ओर जहां किसान गेहूं काटने की तैयारी कर रहे थे वहीं मक्का में बाली को देखकर फूले नहीं समा रहे थे। इसी बीच 30 मार्च को जिले में आई बारिश व ओलावृष्टि ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। तीन प्रखंडों किशगनंज, टेढ़ागाछ और बहादुरगंज में सर्वाधिक मक्का व गेहूं की फसलों को नुकसान हुआ। जिसमें सबसे अधिक टेढ़ागाछ प्रखंड के किसान प्रभावित हुए हैं। जहां सर्वाधिक मक्का की फसल को नुकसान पहुंचा है। हालांकि कृषि विभाग ने प्राकृतिक आपदा से प्रभावित किसानों की सूची बनाकर फसल क्षति मुआवजा देने की तैयारी में जुट गई है।
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626 हेक्टेयर में लगे फसलों को हुई क्षति
बारिश व ओलावृष्टि से तीन प्रखंडों में कुल 626 हेक्टेयर में लगी फसलों को नुकसान पहुंचा है। जिनमें किशनगंज सदर प्रखंड के अलावे बहादुरगंज व टेढ़ागाछ प्रखंड शामिल है। इनमें सर्वाधिक नुकसान टेढ़ागाछ प्रखंड में हुआ है। कृषि विभाग के आंकड़ों की मानें तो किशनगंज प्रखंड में 28 हेक्टेयर में मक्का, बहादुरगंज में 80 हेक्टेयर में मक्का व टेढ़ागाछ में 399 हेक्टेयर में मक्का, 114 हेक्टेयर में गेहूं व 5 हेक्टेयर में लगी सब्जी की फसल को नुकसान पहुंचा है। इस तरह कुल प्रभावित 626 हेक्टेयर में 507 हेक्टेयर में मक्का की फसल शामिल है। हालांकि दो दिनों से हो रही बारिश ने गेहूं किसानों के माथे पर भी आफत ला दी है। अभी अधिकांश खेतों में दौनी के लिए गेहूं की फसल खेतों में ही पड़ी है। अगर बारिश लगातार होती रही तो गेहूं का अंकुरण हो जाएगा व फसल बर्बाद हो जाएगी।