दस साल बाद कैद से मुक्त होगी सोनी
कटिहार। पशु चिकित्सक की चूक से गत दस साल से कटिहार वन एवं पर्यावरण कार्यालय में कैद एक
कटिहार। पशु चिकित्सक की चूक से गत दस साल से कटिहार वन एवं पर्यावरण कार्यालय में कैद एक नील गाय को जल्द ही मुक्त कर दिया जाएगा। उसे अररिया जिले के सिघिया जंगल में छोड़ा जाएगा। वन कार्यालय में सोनी नाम से पुकारी जाने वाले नील गाय को लेकर आवश्यक चिकित्सीय रिर्पोट विभाग को मिल गई है। सोनी के साथ हाल में ही कोढ़ा से बरामद एक अन्य नील गाय को जल्द ही जंगल में छोड़ा जाएगा। क्या है पूरा मामला वर्ष 2010 में गंगा की धारा में बहकर एक नील गाय का बच्चा अमदाबाद पहुंच गया था। ग्रामीणों ने इसे अपने कब्जे में लेते हुए वन विभाग के हवाले कर दिया था। उस समय उसकी उम्र महज नौ माह थी। नील गाय रुपरंग से पूरी तरह हिरण प्रतीत होता था। इस संदेह को लेकर पशु चिकित्सक की सहायता ली गई। पशु चिकित्सक ने अपनी रिर्पोट में इसे हिरण घोषित कर दिया। इधर इस उहापोह में गुजरते समय के साथ नीलगाय बड़ी होती गई और उसका स्वरुप भी स्पष्ट होने लगा। इधर चिकित्सीय रिर्पोट में हिरण घोषित कर दिए जाने के कारण यह मामला पेचिदा हो गया और वन विभाग द्वारा चाहकर भी इसे जंगल में छोड़ना संभव नही हो पाया। यह विभाग मुख्यालय तक पहुंच गई थी। बाद में यह मामला फाइलों में ही दबा रह गया और वन कर्मी नील गाय को पालने लगे। साथ ही इसका नाम सोनी रख दिया। इधर हाल में डीएफओ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस संबंध में लगातार पत्राचार किया और अंतत: पुन: चिकित्सीय जांच के आदेश के बाद उसकी जांच कराई गई। इस जांच रिर्पोट में उसके नील गाय साबित होने के बाद उसको वन में छोड़े जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
कोट- अमदाबाद से दस साल पूर्व बरामद नील गाय की फाइनल चिकित्सीय जांच रिपोर्ट आ गई। वन विभाग के पास पल रही सोनी के नील होने की पुष्टि हो गई है। आरंभिक रिर्पोट में इसे हिरण करार दिए जाने से यह मामला उलझ गया था। जल्द ही सोनी को अररिया स्थित सिघिया के जंगल में छोड़ दिया जाएगा। लंबे समय तक अलग रहने के कारण इसमें व्यवहार में परिवर्तन आ गया है, लेकिन धीरे-धीरे यह अपने समूह में मिल जाएगी। बीएन मंडल, रेंजर, वन व पर्यावरण विभाग, कटिहार