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बिहुला विषहरी के पौराणिक कथा में भी है सेमापुर का उल्लेख

कटिहार। भारतीय संस्कृति में आदिकाल से ही पौराणिक कथाओं का खास महत्व रहा है। बिहुला विषहरी की पौराणिक कथा से जुड़ा है। सावन का महीना शुरू होते ही बरारी प्रखंड के सेमापुर गांव में बिहुला विषहरी के गीत गूंजने लगती हैं। हालांकि बिहुला विषहरी की लोककथा भागलपुर के चंपानगर से जुड़ी हुई है। लोककथा के गीतों में सेमापुर का उल्लेख भी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 06:14 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 06:14 PM (IST)
बिहुला विषहरी के पौराणिक कथा
में भी है सेमापुर का उल्लेख
बिहुला विषहरी के पौराणिक कथा में भी है सेमापुर का उल्लेख

कटिहार। भारतीय संस्कृति में आदिकाल से ही पौराणिक कथाओं का खास महत्व रहा है। बिहुला विषहरी की पौराणिक कथा से जुड़ा है। सावन का महीना शुरू होते ही बरारी प्रखंड के सेमापुर गांव में बिहुला विषहरी के गीत गूंजने लगती हैं। हालांकि बिहुला विषहरी की लोककथा भागलपुर के चंपानगर से जुड़ी हुई है। लोककथा के गीतों में सेमापुर का उल्लेख भी है। यही कारण है कि सावन और भादो मास में सेमापुर और उसके आसपास के क्षेत्रों में विषहरी पूजा को लेकर धूम मची रहती है। इस अवसर पर नृत्य, ना्टय एवं भगैत की प्रस्तुति की जाती है। किवदंति है कि जब मानसा की पूजा नहीं करने पर बिषहरी ने बाला लखिदर को काट लिया तो सती बिहुला ने अपने पति के प्राण वापस लाने के लिए विभिन्न घाटों की यात्रा की थी। इनमें से एक घाट सेमापुर का उल्लेख है। बंगाल के कलाकारों द्वारा बिहुला विषहरी के गायन में सेमापुर की चर्चा की जाती है।

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..सती भासलो रे सेमापुरे घाट का नाम इस कथा पर आधारित पौराणिक लोकगीत में आता है। बुजुर्गों की मानें तो सेमापुर होकर कभी गंगा की धारा बहती थी। सती बिहुला सेमापुर घाट तक पहुंची थी। सेमापुर में सती बिहुला और बिषहरी से जुड़ी लोककथा के कारण यहां के सभी पनंचायत में बिषहरी स्थान है। गांव व टोला का नाम भी विषहरी टोला रखा गया है। नागपंचमी से शुरु होने वाला यह उत्सव दो महीनों तक मनाया जाता है। बिषहरी पूजा को लेकर बरारी प्रखंड के लगभग सभी पंचायतों में मंदिर स्थापित है। विषहरी पूजा के अवसर पर भव्य मेले का भी आयोजन होता है। बंगाल और बिहार के कलाकार द्वारा बिहुला विषहरी पर आधारित नाटक का मंचन होता है। मुखिया प्रतिनिधि संजय सिह पूर्व प्रमुख अजय सिंह, पैक्स सचिव राहुल सिंह, विमल मालाकार, मंदिर कमेटी के कुमोद, मनोज, जनार्दन आदि बताते हैं कि सेमापुर शुरु से ही धार्मिक व आध्यात्मिक महत्ता को लेकर चर्चित रहा है। सती बिहुला की लोकगाथा यहां गाई जाती है। यहां विषहरी पूजा बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। मनसा विषहरी का मंदिर भी यहां स्थापित है।


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