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अकीदत के साथ रोजेदारों ने घरों पर अदा की पहले जुमे की नमाज

कटिहार। जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पाक मुकद्दस माह-ए-रमजान की पहले जुमे की नम

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 08:50 PM (IST)Updated: Sat, 02 May 2020 08:50 PM (IST)
अकीदत के साथ रोजेदारों ने घरों 
पर अदा की पहले जुमे की नमाज
अकीदत के साथ रोजेदारों ने घरों पर अदा की पहले जुमे की नमाज

कटिहार। जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पाक मुकद्दस माह-ए-रमजान की पहले जुमे की नमाज अकीदत के साथ अदा की गयी। शुक्रवार को पहले जुमे की नमाज अदा करने को लेकर लोगों में काफी उत्साह रहा। लॉकडाउन के कारण सभी जामा मस्जिदों में सिर्फ पेश ए इमाम, मोअज्जिन और दो खादिम ही नमाज अदा की। शहर के अमलाटोला की जामा मस्जिद, मंगल बाजार स्थित बड़ी मस्जिद, गांजा गली की छोटी मस्जिद व सहित फलका बा•ार सहित बस्ती जामा मस्जिद, महेशपुर जामा मस्जिद व सहित अन्य मस्जिदों में सन्नाटा पसरा रहा। रमजान उल मुबारक के महीनों में लोगों ने मस्जिद न जाकर अपने-अपने घरों में अकीदत के साथ नमाज अदा की।

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फलका बस्ती के जामा मस्जिद में नमाज से पूर्व जुमे की तकरीर में पेश-ए-इमाम हाजी इजराइल कासमी ने कहा कि रोजा सब्र व इबादत का नाम है। रोजा गुनाहों से निजात का जरिया है। उन्होंने पाक माह रमजान की फजीलत पर रोशनी डालते हुए कहा कि रमजान-ऊल-मुबारक को तमाम महीनों का सरदार कहा गया है। ऐसे तो इस्लाम धर्म में हर माह की अलग-अलग फजीलत है, लेकिन माह-ए-रमजान की अहमियत ज्यादा है। इस मुकद्दस माह में सवाब (पुण्य) में सत्तर गुणा इजाफा कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि पहली रमजान से ही शैतान को कैद कर दिया जाता है, जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।

उन्होंने सब्र व इबादत के इस माह में रोजा रखने का सबब, कुरआन पाक की तिलावत, इफ्तार, तरावीह, नमाज, सेहरी तथा गरीबों के बीच •ाकात पर विस्तार पूर्वक रोशनी डाला। उन्होंने आगे कहा कि इस पाक महीने को तीन अशरे (दस-दस दिन) में बांटा गया है। इसमें पहला दस दिन रहमत का व दूसरा अशरा मगफिरत का तथा तीसरा अशरा जहन्नुम से निजात का है। इसलिए खुशनसीब हैं वे लोग जिन्होंने यह मुबारक महीना पाया और रोजा का हक अदा कर खुदा को खुश किया। उन्होंने कहा कि महामारी को लेकर लॉकडाउन का पूर्ण पालन करें, घरों पर रहकर सभी इबादत करें। उतना ही नेकी आप सबों को मिलेगी जितना कि मस्जिद में तिलाबत करने से मिलती है। बहरहाल पहले जुमे की नमाज में रोजेदार भाइयों के मन में यह कसक भी थी कि ऐसा पहली बार हुआ है कि रम•ान में मस्जिदों में नमाज अदा नहीं कर सका। खुशी इस बात की भी थी कि सरकार के निर्देशों के पालन कर वे आज इस महामारी से सुरक्षित हैं। रोजेदारों ने नमाज के बाद देश से कोरोना के खात्मा की दुआ मांगी।


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