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नेपाल से भी फूटी थी राममंदिर निर्माण आंदोलन की ¨चगारी

कटिहार। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के आंदोलन का बिगुल नेपाल में भी बजा था। माता सीता क

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 10:50 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 10:50 PM (IST)
नेपाल से भी फूटी थी राममंदिर निर्माण आंदोलन की ¨चगारी
नेपाल से भी फूटी थी राममंदिर निर्माण आंदोलन की ¨चगारी

कटिहार। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के आंदोलन का बिगुल नेपाल में भी बजा था। माता सीता की जन्मस्थली जनकपुर से मंदिर निर्माण को लेकर रामजानकी एकात्मत रथयात्रा निकाली गई थी। उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में रथयात्रा का भ्रमण कार्यक्रम एवं जनसभा का आयोजन किया गया था। देश के अलग अलग हिस्सों से 1984 के दिसंबर माह में रथयात्रा निकाली गई थी। राममंदिर निर्माण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्य मुद्दों में शामिल रहा था। हलांकि संघ ने प्रत्यक्ष रूप से मंदिर आंदोलन की कमान अपने अनुषांगिक संगठन विश्व ¨हदु परिषद को सौंपी थी। मंदिर निर्माण को लेकर विहिप के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक ¨सहल का आगमन पूर्णिया व बनमनखी में हुआ था। मंदिर निर्माण के लिए लोगों को गोलबंद करने के लिए कटिहार एवं भागलपुर जिले में नेतृत्व करने का काम विहिप के केंद्रीय नेता जीवेश्वर मिश्र के हाथों में थी। रामजानकी रथयात्रा ने मंदिर निर्माण आंदोलन में दलीय सीमा को भी को भी मिटा दिया था। उस वक्त संघ के नगर प्रचारक चंद्रभूषण ठाकुर बताते हैं कि शहर के शहीद चौक पर रथयात्रा का स्वागत नगर परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष रामाकांत ¨सह ने किया था। कांग्रेस पार्टी से जुड़ रहने के बावजूद रथयात्रा के स्वागत की जिम्मेदारी उन्हें ही सौंपी गई थी। 1989 में मंदिर निर्माण को भाजपा ने अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया था। मंदिर निर्माण आंदोलन से जुड़े स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं की मानें तो संघ के केंद्रीय नेतृत्व को भी लगने लगा था बिना केंद्र की सत्ता में आए मंदिर निर्माण का सपना साकार नहीं हो पाएगा। संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में मंदिर निर्माण के लिए रथयात्रा निकाले जाने की हरी झंडी भाजप को दी गई थी। लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में रथयात्रा निकाली गई थी।

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फतेहपुर जेल में बंद रहे थे स्थानीय कारसेवक

अयोध्या में कारसेवा में भाग लेने के लिए भाजपा, विहिप, बजरंगदल, विद्यार्थी परिषद से जुड़े 500 कारसवेक अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। एक जत्थे का नेतृत्व भाजपा नेता चंद्रभूषण ठाकुर तथा दूसरे जत्थे का नेतृत्व पूर्व सांसद निखिल चौधरी कर रहे थे। फतेहपुर में चंद्रभूषण ठाकुर, श्यामलाल अग्रवाल सहित चार दर्जन कारसेवक को हिरासत में ले लिया गया। एक सप्ताह तक फतेहपुर जेल में बंद रहना पड़ा था। मंदिर निर्माण के लिए जिले से शिलापूजन कार्यक्रम के तहत पांच लाख ईंट अयोध्या के लिए विहिप द्वारा भेजी गई थी।

मंदिर निर्माण आंदोलन की गर्भ से जन्मे कई नेता

राममंदिर निर्माण आंदोलन ने कई स्थानीय नेताओं को राजनीतिक क्षेत्र में अलग पहचान दी। पूर्व सांसद निखिल चौधरी संघ व जनसंघ से शुरू से जुड़े रहे। लेकिन मंदिर निर्माण आंदोलन ने उन्हें नई पहचान दी। इस कारण वे संघ के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में आए। लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी पार्टी ने उन्हें ही टिकट दिया। तीन बार सांसद का चुनाव जीतने के साथ केंद्रीय राज्यमंत्री भी रहे। वर्तमान जदयू सांसद दुलालचंद गोस्वामी ने अपनी राजनीतिक पारी भाजपा से शुरू की। कारसेवा में वे अयोघ्या भी गए। भाजपा के टिकट पर बारसोई विधानसभा से विधायक भी रहे। मंदिर आंदोलन से जुडे रहने के कारण विभाषचंद्र चौधरी, सदर विधायक तारकिशोर प्रसाद एवं चंद्रभूषण ठाकुर ने भी राजनीतिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। विभाष चौधरी बरारी से विधायक रहे। तारकिशोर प्रसाद लगातार तीन बार सदर विधानसभा से चुनाव जीत चुके हैं।


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