प्रसिद्ध है विशपुर का काली पूजा, खूब जमता है यहां दंगल का रंग
कटिहार। काली पूजा में दंगल और दुर्गा पूजा में नाटक मंचन के लिए बरारी प्रखंड का विशनपुर
कटिहार। काली पूजा में दंगल और दुर्गा पूजा में नाटक मंचन के लिए बरारी प्रखंड का विशनपुर पंचायत की अलग पहचान है।
सांस्कृतिक रूप से समृद्धि इस पंचायत के समग्र विकास को भी अपेक्षित रफ्तार मिल रही है। प्रधान डाकपाल के पद से सेवानिवृत परशुराम सिंह यहां के वर्तमान मुखिया है। इससे पूर्व उनकी पत्नी सरस्वती देवी मुखिया थी। इस दंपति के प्रयास से पंचायत के विकास को लगातार नया आयाम मिल रहा है। इस पंचायत में काली पूजा में राज्य भर से पहलवान आते है।
दस वर्ष पूर्व तक यहां के लोगों के लिए मौलिक सुविधा दिवा स्वप्न के समान था। बरसात के मौसम में सड़कों पर चलना मुश्किल था। बीमार लोग समय पर अस्पताल तक नहीं पहुंच पाता है। पंचायत में उच्च शिक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी। लड़कियां आठ तक पढ़ कर बीच में पढ़ाई छोड़ देती थी। 2011 में पहली बार ग्रामीणों की जिद पर अनुसूचित जनजाति से आने वाले सरस्वती देवी चुनाव लड़ी। यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित था और लोगों ने सरस्वती देवी पर विश्वास जताया। दो साल बाद परशुराम सिंह भी डाकपाल से सेवानिवृत हो गए। इधर सरस्वती देवी ने केवल पंचायत के विकास की फिक्र की। जनता के बीच सीधे संवाद रहने के कारण पांच वर्ष के कार्यकाल में विशनपुर पंचायत में मुखिया सरस्वती देवी की अलग पहचान बन गई। 2016 में विशनपुर पंचायत अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गया। और सरस्वती देवी के बदले पशुराम सिंह खुद चुनाव लड़े और विजय हुए। अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान मुखिया ने विधायक और सांसद से सहयोग लेकर पंचायत में कई बड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन कराया। चार माह नाव से सवारी के जाने जानी वाली डहरा व बकिया रानीचक्र में प्रधानमंत्री सड़क के साथ पुल निर्माण की स्वीकृति मिली। डहरा और बकिया में सड़क बन चुकी है। डहरा में पुल बनकर तैयार है। वही बकिया रानीचक पथ की निविदा निकल चुकी है। उच्च शिक्षा के लिए मध्य विद्यालय गुंजरा को अपग्रेड कर उच्च माध्यमिक विद्यालय का दर्जा दिया गया है। पंचायत में बिजली की समस्या थी। कई गांवों में बिजली के पोल तार तक नहीं थे लेकिन विगत पांच वर्षो में विशनपुर पंचायत के हर गली मोहल्ले में बिजली पहुंच चुकी है। मुखिया परशुराम सिंह ने बताया कि विशनपुर पंचायत में 18 वार्ड है। पंचायत का आधा वार्ड आजमपुर शंकर दोनों हिस्सों में बंटी है। आधा पंचायत गंगा के तलटही में बसने के कारण चार माह बाढ़ की विभीषिका से लोग जूझते है। इस स्थिति के बावजूद सभी जगह समान रुप से विकास का अमली जामा पहनाया गया। पूर्व विधायक नीरज कुमार के प्रयास से बकिया रानीचक, डहरा में सड़क बनी। डहरा में पुल का निर्माण हुआ। बकिया रानीचक में भी पुल निर्माण के लिए निविदा निकल गयी है। सात निश्चय योजना, पंचम वित्त, चौदहवीं वित्त से गली गली पीसीसी सड़क का निर्माण किया गया। पंचायत में हर एक वार्ड में जगह जगह कूड़ादान के साथ स्ट्रीट लाइट लगाई गई। वृद्ध, दिव्यांग, विधवा को पेंशन दिलाने के साथ स्वच्छता अभियान को लेकर हर घर शौचालय का निर्माण कराने का काम किया गया। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने के साथ शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की कवायद जारी है। कोरोना काल में लोगों को सैनिटाइजर, मार्क्स, साबुन का मुफ्त वितरण किया गया।
क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण सुरेश मोहन गोस्वामी ने कहा कि दस साल पहले इस पंचायत में लोग बरसात के समय आते नहीं थे। सब जगह कीचड़ और पानी जमा रहता था। मरीज को अस्पताल ले जाना मुश्किल था। प्रदीप यादव यादव ने कहा कि दस वर्ष पहले बकिया रानीचक डहरा में सालोभर आवागमन की परेशानी थी। मुखिया परशुराम सिंह के अच्छे संबंध विधायक व सांसद से रहने के कारण बकिया रानीचक और डहरा में सड़क बनी। डहरा में पुल का निर्माण हुआ। बकिया रानीचक में भी जल्द पुल बनने की संभावना है। मुखिया ने जातिवाद की राजनीति खत्म कर आपसी भाईचारा कायम किया है।