तारिक अनवर ने संसद और NCP से दिया इस्तीफा, कांग्रेस ज्वाइन करने के लग रहे कयास
राफेल डील पर पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के पीएम मोदी के पक्ष में दिए गए बयान से आहत राकांपा के महासचिव तारिक अनवर ने लोकसभा और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
कटिहार [जेएनएन]। राफेल डील पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार द्वारा पीएम मोदी के पक्ष में दिए गए बयान से नाराज पार्टी के महासचिव व कटिहार से सांसद तारिक अनवर ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता के साथ ही लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अब उनके कांग्रेस ज्वाइन क रने के कयास लग रहे हैं। दरअसल, गुरुवार को राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा था कि लोगों को राफेल सौदे में प्रधानमंत्री की मंशा पर कोई संदेह नहीं है।
तारिक अनवर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह राफेल डील सौदे में लिप्त हैं और वे अभी तक अपने को पाक साफ साबित करने में विफल रहे हैं। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति द्वारा इस संबंध में दिए गए बयान से राफेल डील में घोटाला की संपुष्टि होती है।
एेेसे में पार्टी अध्यक्ष शरद पवार का बयान नरेंद्र मोदी के बचाव में है जिससे मैं पूरी तरह से असहमत हूं और मैं पार्टी तथा लोकसभा सीट से अपना इस्तीफा दे रहा हूं। अनवर ने कहा कि शरद पवार का मैं व्यक्तिगत रूप से सम्मान करता हूं लेकिन इस मुद्दे पर उनके बयान को दुर्भाग्यपूर्ण है। इस बयान से मैं आहत हूं और मैंने ये कदम उठाया है।
अनवर जल्द ही लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप देंगे। मालूम हो कि विपक्ष राफेल डील पर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर रह रहा है। जबकि शरद पवार इसमें कोई गड़बड़ी नहीं देख रहे हैं। पवार ने कहा कि इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी की मंशा पर शक नहीं किया जा सकता है।
कांग्रेस में शामिल होने की संभावना
तारिक की घोषणा के साथ ही उनके फिर से कांग्रेेस में शामिल होने की संभावना जाहिर की जा रही है। कांग्रेस से उनका पुराना रिश्ता रहा है। अनवर ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत थाना कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की हैसियत से की थी। पहली बार 1972 में पीरबहोर थाना कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
1977 में कांग्रेस ने उन्हें कटिहार लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। वह पहला चुनाव हार गए। 1980 में कटिहार से उनकी जीत हुई। पार्टी ने उन्हें बिहार प्रदेश कमेटी का अध्यक्ष बनाया। वे युवा कांग्रेस के प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के पद पर रहे। अनवर तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे हैं।
कांग्रेस में सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद उनके विदेशी मूल के मुद्दे पर विवाद हुआ था। शरद पवार के साथ पीए संगमा और तारिक अनवर कांग्रेस से अलग हो गए। एनसीपी का गठन हुआ तो अनवर को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। एनसीपी ने उन्हें पहली बार 2004 और दूसरी बार 2010 में राज्यसभा भेजा।
यूपीए 2 की सरकार में अनवर को 2012 में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री बनाया गया। कटिहार से तीसरी बार एनसीपी के टिकट पर उनकी जीत हुई। उस समय उन्हें कांग्रेस और राजद का भी समर्थन मिला हुआ था।