Move to Jagran APP

बागवानी फसलों के लिए भी प्रबंधन जरूरी

कटिहार। मिश्रित खेती की ओर किसानों का रूझान तेजी से बढ़ा है। गेहूं व मक्के के साथ ही अब

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Apr 2018 06:10 PM (IST)Updated: Mon, 09 Apr 2018 06:10 PM (IST)
बागवानी फसलों के लिए भी प्रबंधन जरूरी
बागवानी फसलों के लिए भी प्रबंधन जरूरी

कटिहार। मिश्रित खेती की ओर किसानों का रूझान तेजी से बढ़ा है। गेहूं व मक्के के साथ ही अब किसान बागवानी फसलों की भी व्यवसायिक खेती कर रहे हैं। हाल के वर्षों में आम के बागान का रकवा तेजी से बढ़ा है। कई प्रखंडों में आम की व्यवसायिक खेती की जा रही है, लेकिन आम की फसल पर भी प्राकृतिक आपदा का कहर टूटता रहा है। इसके साथ ही आम की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान कीट व्याधि के प्रकोप के कारण होता है। इसके कारण आम की व्यवसायिक खेती करने वाले किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ता है।

loksabha election banner

इस वर्ष जिले में आम की फसल बेहतर रहने से किसानों को बेहतर मुनाफा की उम्मीद जगी है। यद्यपि हाल में आए तूफान के कारण आम की फसल को आंशिक नुकसान हुआ है, लेकिन इसके साथ ही किसानों को कीट व्याधि से होने वाले नुकसान की ¨चता सता रही है। आम की फसल में शुरुआती प्रबंधन कर इस समस्या से हद तक बचा जा सकता है साथ ही किसान बेहतर मुनाफा कमाने के साथ फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।

टिकोला बनने के साथ बढ़ता है कीटों का आक्रमण :

आम की फसल की सबसे बड़ी समस्या फलों के झड़ने की होती है। टिकोला बनने के साथ ही मुख्य रूप से नमी की कमी के कारण यह समस्या शुरू होती है। इसके लिए ¨सचाई का समुचित ध्यान रखना आवश्यक है। इसके साथ ही टिकोला बनने के बाद कीटों का आक्रमण बढ़ जाता है। कीट व रोग के प्रकोप के कारण टहनी कमजोर हो जाती है। इसके कारण फल गिरने की समस्या से काफी नुकसान होता है। आम की फसल में मधुआ कीट का प्रकोप सबसे अधिक होता है। यह कीट भूरे रंग का छोटा छोटा वयस्क एवं बच्चे सफेद रंग के होते हैं। यह टहनियों के काटने के साथ ही आम का रस चूसते हैं व एक प्रकार के रस का श्राव करते हैं। इससे फसल सड़ने की समस्या बनी रहती है। इसके साथ ही दहिया कीट के कारण भी आम की फसल को काफी नुकसान होता है। मुख्य रूप से परिपक्व फलों में रस चूसने वाले कीट के प्रकोप के कारण उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

टिकोला बनने के बाद भी जरुरी है प्रबंधन :

- टिकोला आने के बाद कीटों का प्रकोप बढ़ता है, इसके लिए कीटनाशक मालाथियान दो ग्राम प्रति लीटर व डाइथेम एम 45 या कार्बोन्डाजिम दो ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

- फल की टहनियों को टूटने से रोकने के लिए प्लोनोफिक्स एक एमएल पांच लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। साथ ही इसकी मात्रा में बदलाव नहीं करना चाहिए, इससे नुकसान हो सकता है।

- मधुआ कीट का प्रकोप दिखाई देते हीं इमीडाक्लोप्रीड 17.8 एमएल एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। दूसरा छिड़काव एसीफेट 75 डब्ल्यूपी का 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर करें।

- जब आम की फसल में गुदा बने एवं मक्खी का प्रकोप बढ़ता है और इससे फल टूटने लगते हैं। इसके लिए मालाथियान दो एमएल दवा थोड़ा सा झोआ गुड़ मिलाकर प्रति लीटर घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.