Move to Jagran APP

धान के खेत में लग रहा मखाना

कटिहार। केला मक्का और गरमा धान से मोह भंग होने के बाद अब किसान धान के खेत में मखा

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 08:20 PM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2020 08:20 PM (IST)
धान के खेत में लग रहा मखाना
धान के खेत में लग रहा मखाना

कटिहार। केला, मक्का और गरमा धान से मोह भंग होने के बाद अब किसान धान के खेत में मखाने की फसल लगा रहे हैं। जिले में लगभग दो हजार हेक्टेयर जलकर में मखाने की खेती होती है, धनहर न निचली भूमि में इसका रकवा 3500 हेक्टेयर के करीब पहुंच चुका है। पिछले दो वर्षो में बेहतर मुनाफा मिलने के कारण इस बार किसानों ने फिर से मखाने पर भरोसा जताया है।

loksabha election banner

मखाना की खेती नदी, तालाब, चौर सहित निचली जमीन में भी हो रही है। जिले के कोढ़ा, बरारी, फलका, प्राणपुर, आजमनगर, कदवा, डंडखोरा आदि प्रखंडों में बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती थी। औसतन एक एकड़ मखाने की खेती में 30 से 35 हजार का खर्च आता है। कम वर्षापात की स्थिति में पटवन का खर्च बढ़ता है। अगर फसल अच्छी रही तो औसतन 30 हजार प्रति एकड़ तक मुनाफा होता है। बेहतर बाजार मूल्य और उपयुक्त जलवायु होने के कारण किसान मखाना की खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं और लगातार इसका रकवा बढ़ रहा है। मखाना के बेहतर उत्पादन के लिए जलस्तर और मौसम का प्रभाव मायने रखता है। सामान्य तौर पर मखाना का उत्पादन 25 क्िवटल प्रति हेक्टेयर तक होता है। इसके लिए जलीय क्षेत्र में जलस्तर चार से पांच फीट के बीच होना आवश्यक है, जबकि खेतों में लगी मखाने की फसल के लिए एक से डेढ़ फीट जलस्तर नियंत्रित रखना आवश्यक है। मखाना उत्पादन के लिए तापमान 20 से 35 डिग्री तक अनुकूल माना जाता है। खेतों में जलस्तर नियंत्रित करने के लिए किसानों को पंपसेट का सहारा लेना पड़ता है। खेतों में लगे मखाना में पटवन के औसत खर्च में 20 फीसद तक की वृद्धि होती है। मखाना की फसल पर सरकारी स्तर पर अनुदान का प्रावधान तो है, लेकिन रकवा के अनुरूप यह काफी कम है। इस कारण अनुदान का वितरण लॉटरी के आधार पर होता है। जिले की जलवायु मखाना उत्पादन के लिए उपयुक्त है। किसानों को प्रोत्साहित करने को लेकर समुचित पहल भी नहीं हो रही है। मखाना की खेती कर रहे किसान मनोज कुमार सिंह, बंटी यादव, विनोद राय, असर्फी साहनी, किशोर मंडल, इस्तियाक, मु मुस्ताक आदि ने बताया कि अगर मखाना किसानों को समुचित सुविधा मिले तो यह किसानों के लिए बेहतर विकल्प होगा। किसानों की आर्थिक समृद्धि का यह बेहतर विकल्प बन सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.