Move to Jagran APP

कोसभर की पैदल यात्रा कर लोग डालते थे वोट

?????????? ?? ??? ?? ??? ??? ??? ?? ?????? ? ???????? ????? ??? ???????? ?? ?????? ???? ??? 97 ?????? ????? ????? ????? ??? ?? ?? ??? ???? ??? ??? ???? ??? ?? ????? ??? ?????? 80 ?? ??? ?? ? ??? ??? ?? ?????? ????? ??? ???? ???????? ??? ??? ???? ??? ???-??? ?? ???? ?????? ?? ????? ?? ??????? ????? ???? ??? ??? ???? ?? ?? ???? ????? ?????? ?? ????? ?? ??????? ???? ?? ??? ???? ??? 80 ?? ??? ?? ????? ?? ???? ?? ?? ?? ????????? ?? ??? ???? ?????? ?????? ?? ????? ???? ???? ??? ???? ? ???? ?? ??????? ???? ???? ??? ??? ?? ????????? ?? ??? ????? ???????? ?? ????? ???? ??

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Mar 2019 07:30 PM (IST)Updated: Mon, 25 Mar 2019 07:30 PM (IST)
कोसभर की पैदल यात्रा 
कर लोग डालते थे वोट
कोसभर की पैदल यात्रा कर लोग डालते थे वोट

कटिहार। स्वतंत्रता के बाद से देश में हुए हर लोकसभा व विधानसभा चुनाव में मताधिकार का प्रयोग करते रहे 97 वर्षीय कैलाश चौधरी मानते हैं कि अब समय पूरी तरह बदल चुका है। वे मानते हैं कमोवेश 80 के दशक तक व फिर बाद के चुनावी माहौल में काफी परिवर्तन आया है। पहले लोग कोस-कोस भर पैदल यात्रा कर बूथों पर पहुंचकर मतदान करते थे। यही कारण था कि पहले महिला वोटरों के मतदान का प्रतिशत काफी कम हुआ करता था। 80 के दशक से पूर्व तक किसी भी दल के प्रत्याशी के लिए उनकी आर्थिक हैसियत भी मायने नहीं रखती थी। जाति व धर्म भी मुद्दा नहीं होता था। लोग बस प्रत्याशी की छवि देखकर मताधिकार का उपयोग करते थे। राजनीतिक पार्टियां भी इतनी नहीं थी। प्रत्याशियों की संख्या भी इतनी नहीं होती थी। प्रचार का रंग भी ऐसा नहीं था और महापर्व पूरी तरह सादगी पूर्ण माहौल में संपन्न हो जाता था।

loksabha election banner

स्थानीय पुलिस के हाथों में रहती थी सुरक्षा व्यवस्था : 1980 से पहले के चुनाव में सुरक्षा की व्यवस्था स्थानीय पुलिस के हाथों में होती थी। या यूं कहें कि सुरक्षा बलों की जरुरत ही नहीं हुआ करती थी। लोगों को भी केवल अपने मतदान से मतलब होता था। लोग अपने मताधिकार के उपयोग को खुद ललायित रहती थे।

महिलाओं के मतदान के प्रतिशत रहता था कम: मतदान केंद्रों की दूरी एवं आने जाने का साधन नहीं रहने व बहुत हद तक अशिक्षा के कारण महिलाओं का मतदान काफी कम हुआ करता था। महिला बूथों पर मतदान करने में जाने से संकोच करती थी। पढ़ी लिखी महिलाएं ही उस समय मतदान किया करती थी। उस लिहाज से आज की स्थिति बेहतर है। आज महिला लगभग पुरुष के बराबर मतदान कर रही है।

प्रचार के दौरान नहीं होती थी फिजुलखर्ची : संसाधन की कमी के कारण प्रत्याशी बिल्कुल सहज रूप में चुनाव प्रचार करते थे। प्रचार के लिए संवादिया के रुप में कार्यकर्ताओं की मदद ली जाती थी। अधिकांश गांवों में केवल प्रत्याशी का पंप लेट ही पहुंच पाता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.